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विशेष: जब भगत सिंह ने किया किसानों को संगठित करने का प्रयास

-न्यूजक्लिक, भगत सिंह के बारे में आमतौर पर यह कहा जाता है कि वे थे तो समाजवादी विचारों के लेकिन उन्होंने कभी किसानों-मजदूरों को संगठित करने का प्रयास नहीं किया। प्रोफेसर बिपन चन्द्र और एस. इरफ़ान हबीब ने इसे भगत सिंह और साथियों की एक बड़ी कमी बताया है। लेकिन जब मैं अपनी पीएचडी थीसिस लिखने के लिए शोध कर रहा था तो कुछ ऐसे चौंकाने वाले तथ्य सामने आये जिनका...

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SOFI 2020 रिपोर्ट: अन्य दक्षिण एशियाई देशों के मुकाबले भारत की खाद्य और पोषण सुरक्षा कमजोर

30 अगस्त, 2020 को दिए गए अपने मन की बात भाषण में, प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सितंबर 2020 का महीना पूरे राष्ट्र में पोषण माह के रूप में मनाया जाएगा. अपनी मन की बात में राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में, उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि बच्चों के पोषण के लिए माँ को उचित और पर्याप्त पोषण मिलना चाहिए. इस संदर्भ में, खाद्य और पोषण...

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कृषि विधेयक और श्रम क़ानून में बदलाव: महामारी के बीच मोदी सरकार का विध्वंसकारी खेल

-द वायर, पिछले साल नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने स्पष्ट रूप से स्वीकार किया था कि बड़े संरचनात्मक सुधारों जैसे नोटबंदी और जीएसटी ने अर्थव्यवस्था और इसके विकास में गंभीर व्यवधान पैदा किया है, भले ही ऐसे सुधार लंबे समय में फायदेमंद होंगे. इससे पहले कि इन तबाही लाने वाले मशहूर सुधारों के कोई लाभ दिखाई देते, मोदी सरकार ने नए कृषि विधेयकों और श्रम कानूनों में बदलाव के रूप...

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कोरोना जांच के लिए भारतीय वैज्ञानिकों ने बनाई पेपर स्ट्रिप, प्रेग्नेंसी किट की तरह करेगी काम

-डाउन टू अर्थ, कोरोना वायरस (एसएआरएस-सीओवी-2) के प्रकोप को नियंत्रित करने से जुड़े प्रयासों में एक महत्वपूर्ण कड़ी होती है कोविड-19 से संक्रमित रोगियों की पहचान। इस दिशा में लगातार काम कर रहे वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के शोधकर्ताओं द्वारा विकसित की गई कोविड-19 परीक्षण किट अब उपयोग के लिए तैयार है। इस नई विकसित कोविड-19 त्वरित परीक्षण किट को अब ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) से व्यावसायिक...

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सोशल मीडिया की बुराइयों से निपटने के लिए अच्छाई को उसी का उपयोग करने की तरकीबें सीखनी होंगी

-सत्याग्रह, घृणा का भूगोल इस पर, बार-बार अनेक क्षेत्रों में, चिन्ता बढ़ रही है कि भारतीय समाज में घृणा और भेदभाव लगातार फैल रहे हैं. हमारा समय इस मामले में लगभग अभूतपूर्व है कि उसमें घृणा, भेदभाव, हत्या और हिंसा को उचित मानने वाले इतने अधिक हो गये हैं. यह भी पहली बार है कि इन वृत्तियों को फैलाने के साधन बहुत बढ़ गये हैं, अत्यन्त सक्षम हैं और उनकी पहुंच हमारी...

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