एक भाषण कितना बड़ा बदलाव ला सकता है! बेशक यह नेहरू के अविस्मरणीय भाषण 'नियति के साथ भारत की भेंट' और मार्टिन लूथर किंग की भावनात्मक प्रेरणा 'मेरा एक सपना है' के स्तर का न हो, लेकिन बीती 14 जुलाई को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में शशि थरूर का पंद्रह मिनट का भाषण भारत में 200 वर्षों के ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन पर हाल के दिनों का सबसे तीक्ष्ण, प्रभावशाली और कटु आलोचना...
More »SEARCH RESULT
नक्सली बताकर पुलिस ने की हत्या, हजारों ग्रामीणों ने लगाया आरोप
नकुलनार/रायपुर (ब्यूरो)। 29 जुलाई को शहीदी सप्ताह के दूसरे दिन दंतेवाड़ा जिले के नहाड़ी में हुई पुलिस-नक्सली मुठभेड़ को ग्रामीणों ने फर्जी बताते ग्रामीणों की हत्या करने का आरोप लगाया है। मुठभेड़ में पुलिस ने पोदिया हेमला को मार गिराया था। साथ ही, दो भरमार समेत अनेक सामग्री बरामद की गई थी। शनिवार को नहाड़ी ग्राम के मुंडीपारा में दस पंचायतों के हजारों ग्रामीणों ने एकत्र होकर मुठभेड़ का विरोध...
More »कुपोषण की शिकार बेटी का गला घोंटा फिर खुद ने लगाई फांसी
गोहद (भिंड)। कुपोषण की शिकार 5 साल की बेटी का इलाज नहीं करा पा रहे पिता ने गला घोंटकर हत्या कर दी। फिर खुद भी फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। हादसे के समय बच्ची की मां मायके में थी। घटना हनुमंतपुरा (गोहद) में मंगलवार दोपहर 2 बजे की है। हनुमंतपुरा के दामोदर जगदीश गोले (30) ने मंगलवार सुबह करीब 9 बजे 5 साल की बेटी मानसी का गला घोंटकर हत्या कर...
More »पीडीएस फर्जीवाड़ा, गरीब परिवारों से ज्यादा राशनकार्ड
भोपाल। प्रदेश में सस्ते राशन के लिए पात्र बीपीएल परिवारों की संख्या से ज्यादा राशनकार्ड हैं। ये खुलासा हुआ है विस में पटल पर रखी गई कैग की रिपोर्ट में। 2009-14 तक की जांच के आधार पर कैग ने कहा है कि बड़वानी, धार, खंडवा, रतलाम और उज्जैन में अतिरिक्त कार्डों का प्रतिशत 4 से 22 तक पाया गया है। इसके लिए केंद्र सरकार के निर्देश के बावजूद घर-घर जाकर सत्यापन...
More »किसान आत्महत्या का अधूरा सच- देविन्दर शर्मा
गुलाबी तस्वीर पेश करने की तमाम कोशिशों के बावजूद राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के किसान आत्महत्या संबंधी 2014 के आंकड़े कृषि के स्याह पक्ष को ही सामने लाते हैं। वर्ष 2014 में 12,360 किसानों की आत्महत्या का सीधा अर्थ है कि हर 42 मिनट में देश में एक किसान ने आत्महत्या की। हालांकि एनसीआरबी ने किसानों की आत्महत्या के आंकड़े को दो श्रेणियों-किसानों एवं कृषि मजदूरों, में बांटने का साहसिक...
More »