उत्तराखंड में आयी विभीषिका में विद्युत परियोजनाओं की भूमिका को लेकर सवाल उठ रहे हैं. केदारनाथ में मंदाकिनी नदी बहती है. फाटा व्यूंग और सिंगोली भटवाड़ी नाम से केदारनाथ के नीचे इस नदी पर दो विद्युत परियोजनाएं बन रही हैं. प्रत्येक में 15-20 किमी की सुरंगें पहाड़ में खोदी जा रही हैं. इन सुरंगों को बनाने में भारी मात्र में डायनामाइट का प्रयोग किया गया है. इनके धमाकों से पहाड़ दरक...
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"मथुरा रेप केस के बाद बलात्कार संबंधी कानूनों को मजबूत किया गया."
प्रकाशन और कई किस्म के सामाजिक हस्तक्षेप के जरिए भारतीय स्त्री विमर्श को एक नई दिशा देने वाली उर्वशी बुटालिया को आज भारतीय नारीवाद की एक पुरजोर आवाज के तौर पर पहचाना जाता है. भारतीय महिला आंदोलनों के बिखराव और उनकी वर्तमान दिशा पर प्रियंका दुबे ने उर्वशी के साथ विस्तार से बातचीत की आप पिछले 45 वर्षों से भारतीय स्त्री विमर्श का हिस्सा रही हैं. इस दौरान हुए बदलावों...
More »यहां ग्राउंड वाटर का सबसे अधिक दोहन हो रहा, 310 मीटर और नीचे गया पानी
रांची. कांके, रातू और ओरमांझी ब्लॉक में ग्राउंड वाटर डेंजर जोन में पहुंच गया है। कांके में ग्राउंड वाटर का सबसे अधिक दोहन हो रहा है। इन क्षेत्रों में जितना पानी जमीन के अंदर पहुंच रहा है, उससे अधिक निकाला जा रहा है। शहरी क्षेत्र में भी पिछले चार वर्षों में ग्राउंड वाटर लेवल काफी नीचे चला गया है। हिनू सहित दर्जनों एरिया में वाटर लेवल पांच से 10 मीटर...
More »उत्तराखंड की चेतावनी- अपूर्व जोशी
जनसत्ता 26 जून, 2013: उत्तराखंड में आई भारी विपदा पर लिखने बैठा, तो एकाएक बाबा नागार्जुन याद आ गए, अपनी एक कविता के जरिए- ताड़ का तिल है/ तिल का ताड़ है/ पब्लिक की पीठ पर बजट का पहाड़ है/ किसकी है जनवरी/ किसका अगस्त है/ कौन यहां सुखी है/ कौन यहां मस्त है/ सेठ ही सुखी है। सेठ ही मस्त है/ मंत्री ही सुखी है/ मंत्री ही मस्त है/...
More »उत्तराखंड के सबक- रोहित जोशी
जनसत्ता 21 जून, 2013: पिछले सालों में बरसात का मौसम उत्तराखंड के लिए तबाही का मौसम साबित हुआ है। अबके मानसून की पहली बारिश ही उत्तरकाशी, केदारनाथ, रुद्रप्रयाग, चमोली, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा और बागेश्वर में बादल फटने, बाढ़ और भूस्खलन का मंजर लेकर आई है। जबकि अभी बरसात का पूरा मौसम बाकी है। यों तो आंख मूंद कर इन आपदाओं को सिर्फ प्राकृतिक माना जा सकता है और आपदा-राहत में...
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