स्थानीय निकायों में व्याप्त भ्रष्टाचार और अकर्मण्यता की बीमारी ने ऐसी स्थितियां उत्पन्न् कर दी हैं कि हमारे ज्यादातर शहर गंदगी के ठिकानों में तब्दील होकर रह गए हैं। देश में साफ-सफाई की लचर स्थिति तब और अधिक हैरान करने वाली है जब स्वच्छता उपकर के नाम पर नागरिकों से अलग से टैक्स भी वसूला जा रहा है। भारत को स्वच्छ व स्वस्थ बनाने के लिए सरकारों को इस ओर...
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आरबीआई की नजर में विदेश में खाता होना अपराध नहीं
माला दीक्षित, नई दिल्ली। रिजर्व बैंक आफ इंडिया (आरबीआई) ने पनामा पेपर्स लीक को लेकर दायर जनहित याचिका का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि विदेश में बैंक खाता रखना कोई अपराध नहीं है। उदार भुगतान योजना के तहत या आरबीआइ से अनुमति लेकर खोला गया खाता कानून का उल्लंघन नहीं है। अपने हलफनामे में बैंक ने यह स्पष्ट किया है। शीर्ष अदालत ने नोटिस भेज कर रिजर्व...
More »अर्थव्यवस्था और भ्रष्टाचार का घुन-- अरविन्द कुमार सिंह
दुनिया के अनेक देशों की तुलना में भारत भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में पिछड़ रहा है। यह स्थिति तब है जब यहां भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई के लिए कानूनों से लैस तमाम एजेंसियां हैं और नागरिक समाज आंदोलित है। वैसे तो भ्रष्टाचार ने पूरी दुनिया को गिरफ्त में ले रखा है, लेकिन अगर भारत की बात करें तो जीवन का कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है, जहां भ्रष्टाचार का बोलबाला न...
More »सबको समय पर न्याय देने के लिए-- के सी त्यागी
विधि मंत्रालय ने जजों की संख्या के जो आंकड़े जारी किए हैं, वे चौंकाने वाले हैं। इसके अनुसार, देश में प्रति 10 लाख की आबादी पर न्यायाधीशों की संख्या मात्र 18 है, जबकि यह 50 होनी चाहिए। जजों की आनुपातिक संख्या में कमी कोई अचानक उत्पन्न हुई समस्या नहीं है। समय-समय पर सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश द्वारा सरकार का ध्यान इस ओर आकर्षित किया जाता रहा है, परंतु ठोस...
More »साक्षरता और समृद्धि से भी बढ़ी मुकदमों की संख्या
भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति तीरथ सिंह ठाकुर ने कहा है कि देश के विभिन्न न्यायालयों में लम्बित पड़े मामलों का सम्बंध प्रत्यक्ष तौर पर साक्षरता व समृद्धि से भी है। ऐसा विभिन्न अध्ययनों में सामने आया है। उन्होंने कहा कि जहां लोग शिक्षित हैं, वहां वह अपने अधिकारों के प्रति ज्यादा जागरूक है और उच्च साक्षरता दर के कारण अपनी छोटी-छोटी शिकायतों के लिए भी अदालतों की शरण लेते...
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