SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 2954

उत्तर प्रदेशः महिला हेल्पलाइन की 300 से अधिक कर्मचारी धरने पर, 14 महीने से नहीं मिला वेतन

-द वायर, उत्तर प्रदेश की महिला हेल्पलाइन 181 की 351 कर्मचारी अनिश्चितकालीन धरने पर हैं. द क्विंट की रिपोर्ट के मुताबिक, इन कर्मचारियों को जुलाई 2019 से वेतन नहीं मिला है, जिसके विरोध में वह लखनऊ के इको पार्क में 17 अगस्त से धरने पर हैं. हेल्पलाइन की कर्मचारियों का कहना है कि उन्होंने सामूहिक रूप से जरूरतमंद पांच लाख से अधिक महिलाओं की मदद की है, जिसके तहत उन्हें काउंसिलिंग देने से...

More »

बेंगलुरू हिंसा: दूसरे के धर्म पर टिप्पणी क्यों; हिंसा पूरी तरह ग़लत

-सत्यहिंदी, बेंगलुरू में हुई हिंसा से क्या कोई प्रसन्न हो सकता है? क्या कोई उसका समर्थन कर सकता है? लेकिन ऐसा मानने वाले लोग इस समाज में हैं जो यह मानते हैं कि इस हिंसा की हिमायत करने वाले लोग सभ्य समाज में मौजूद हैं। हिंसा के दौरान ही जब बहुत सारे लोग हैरान थे और उसे समझने की कोशिश कर रहे थे, एक ख़ास तबके में एक विकृत प्रसन्नता देखी...

More »

पूर्वोत्तर में आजादी के सात दशकों बाद ही जस की तस है अलगाव की भावना

-डॉयचे वेले, मणिपुर में बहुत से लोग मानते हैं कि राज्य का भारत में जबरन विलय हुआ था. इसी वजह से राज्य के उग्रवादी संगठनों ने एक बार फिर 15 अगस्त के बायकाट और बंद की अपील की. इससे पहले पूर्वोत्तर के आधा दर्जन अन्य ऐसे संगठन भी यही अपील कर चुके थे. स्वाधीनता दिवस के बायकाट का यह सिलसिला भी देश की आजादी जितना ही पुराना है. पुराना है विवाद आजादी के...

More »

15 अगस्त को ही आजाद हुआ पाकिस्तान अपना स्वतंत्रता दिवस 14 अगस्त को क्यों मनाता है?

-सत्याग्रह, मर्डर ऑफ हिस्ट्री नाम की अपनी किताब में जाने-माने पाकिस्तानी इतिहासकार केके अजीज लिखते हैं, ‘आम धारणा यही है और आजादी के आधिकारिक समारोहों ने इसे मजबूत ही किया है कि पाकिस्तान 14 अगस्त को आजाद हुआ. लेकिन यह सच नहीं है. जो इंडियन इंडिपेंडेंस बिल चार जुलाई को ब्रिटिश संसद में पेश हुआ था और जिसने 15 जुलाई को कानून की शक्ल ली थी, उसमें कहा गया था कि...

More »

ईआईए अधिसूचना का मसौदा किस प्रकार से आदिवासियों और वनवासी समुदायों के अधिकारों से समझौता करना है

-न्यूजक्लिक, जहां एक ओर पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना, 2020 के मसौदा दस्तावेज की आलोचना व्यापार को आसान बनाने के लिए पर्यावरणीय मानदंडों को खत्म करने की कोशिशों की खातिर की जा रही है, वहीं इन नए प्रावधानों के चलते समाज के कुछ तबकों को इसका सबसे अधिक खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। और वे तबके हैं जंगली इलाकों में रहने वाले अनुसूचित जनजाति और अन्य पारम्परिक वनवासी समुदाय के लोग। नई अधिसूचना...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close