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महाशक्ति बनने की सही राह - सीताराम येचुरी

द इकोनॉमिस्ट ने भारत पर एक कवर स्टोरी की है। इसी अंक में ‘बिजनेस इन इंडिया’ पर पूरे 34 पृष्ठ की एक विशेष रिपोर्ट है। यह रिपोर्ट भारत के संबंध में कहती है कि, ‘यह एक उभरती हुई महाशक्ति है, जिसके समाज में जोश है, जिसकी फर्मो के चेहरे पर खून की लाली है और जो विश्व मंच पर चढ़ रही हैं।’ यह वास्तव में विश्व पूंजीवाद की इस इच्छा...

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अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों के लिए 2.33 करोड़ रुपए मंजूर

मुंबई. अल्पसंख्यक बहुल शहरी क्षेत्रों की विभिन्न विकास योजनाओं के लिए राज्य सरकार ने 2 करोड़, 33 लाख रुपए की मंजूरी दी है। इसमें गड़चिरोली, देसाईगंज और बुलढाणा की जलगांव जामोद नगरपालिका शामिल हैं। यह जानकारी मंगलवार को अल्पसंख्यक विकास विभाग के मंत्री मोहम्मद आरिफ नसीम खान ने दी। अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों की मूलभूत सुविधाओं पर यह निधि खर्च की जाएगी। बिजली, पानी, शौचालय, सड़क, गटर, पावर ब्लाक, बहुउद्देशीय सभागृह (शादीखाना) और...

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सात अरब हुई आबादी: संयुक्‍त राष्‍ट्र की चेतावनी- नहीं चेते तो भविष्य की नस्‍लें गरीबी, भुखमरी, हिं?

नई दिल्‍ली. दुनिया की आबादी 700 करोड़ यानी सात अरब हो गई है। यह इतनी बड़ी संख्‍या है कि अगर कोई बोल कर एक से 700 अरब तक की गिनती करे तो उसे 200 साल लग जाएंगे। 7 अरब कदमों से करीब 150 बार धरती की परिक्रमा की जा सकती है। तो, यह संख्‍या जितनी बड़ी है, उतनी ही गंभीर चुनौती दुनिया के लोगों के सामने भी आने वाली है।    आज...

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गरीबों की गिनती का सच : हर्ष मंदर

मानवीय अस्मिता के साथ जीवन बिताने के लिए किसी गरीब व्यक्ति को कितने पैसे की जरूरत हो सकती है? हम जिस समय में जी रहे हैं, उसमें ऐसा कभी-कभार ही होता है कि अखबारों के फ्रंट पेज और खबरिया चैनलों के प्राइम टाइम बुलेटिनों में यह सवाल सुर्खियों में आया हो। यह भी आम तौर पर नहीं होता कि इस पहेली ने मध्यवर्ग की चेतना को चुनौती दी हो। लेकिन जब...

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बत्तीस के फेर में गरीबी : इला भट्ट

अब देश की सरकार गरीबी के मानदंडों में संशोधन करने जा रही है, जैसे कि देश को पता ही न हो कि गरीबी के मायने आखिर क्या हैं! सरकार का मानना है कि शहरी क्षेत्र में एक दिन में 32 रुपए और ग्रामीण क्षेत्र में एक दिन में 26 रुपए से अधिक खर्च करने वाला व्यक्ति ‘गरीब’ नहीं माना जा सकता और इसलिए वह सरकार की विभिन्न हितकारी योजनाओं के लिए पात्र...

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