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दिल्लीवालों की 80 फीसदी कमाई स्कूल और घर पर खर्च

कभी शॉपिंग और ब्यूटी पॉर्लर में अपनी कमाई का मोटा हिस्सा खर्च करने वाली कामकाजी महिलाएं अब अपनी सैलरी का 80 फीसदी हिस्सा बच्चों की फीस और अन्य जरूरी मदों में खर्च कर रही हैं। इसका खुलासा पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज द्वारा पहली बार दिल्ली की कामकाजी महिलाओं पर किए गए एक सर्वे में हुआ है। सर्वे में ऐसी महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता व उनके खर्च समेत इलाज और...

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दिल्ली में हो सकती है एक नये किस्म के बजट की शुरुआत..

दिल्ली की नव-निर्वाचित आम आदमी पार्टी की सरकार ने वित्त-वर्ष 2015-16 के लिए नागरिक केंद्रित एक ऐसा बजट बना सकती है जिसे मोहल्ला स्तर पर लागू किया जा सकेगा।   ब्राजील के शहर पोर्तो अलेगे में नगरपालिका स्तर पर संचालित भागीदारी आधारित बजटिंग की सफलता से प्रेरणा लेते हुए दिल्ली की नई सरकार ने कुछेक निर्वाचन क्षेत्रों में इसे प्रायोगिक आधार पर लागू करने की बात कही है।   गौरतलब है कि 2015...

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ग्रामीण इलाकों में विकास से ही ग्लोबलाइज होगा देश का डेयरी सेक्टर- डा आर एस खन्ना

साल 2014 में डेयरी सेक्टर में बड़े उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। पिछले साल की शुरुआत 2013 की तरह डेयरी उत्पादों के आयात में तेजी के साथ हुई। यह तेजी केन्द्र सरकार की डेयरी उत्पादों के आयात-निर्यात नीति में कोई परिवर्तन न करने से देखने को मिली। इसके चलते देश में दूध की कीमतें दोनों उत्पादक और कंज्यूमर के लिए बढ़ीं। लेकिन, अच्छे आयात की यह खुशी सेक्टर में ज्यादा...

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भूमि अधिग्रहण कानून में सुधार: वास्तविक तस्वीर- अरुण जेटली

सरकार ने 31 दिसंबर 2014 को भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनरुद्धार संशोधन कानून, 2013 में उचित मुआवजे के अधिकार और पारदर्शिता के कुछ प्रावधानों में संशोधन के लिए अध्यादेश जारी किया। आखिरकार इस कानून में संशोधन की क्या जरूरत पड़ी और इन संशोधनों के क्या मायने हैं? इस बात का बार-बार उल्लेख होता रहा है कि भूमि अधिग्रहण कानून, 1894 पुराना पड़ चुका है और इसमें संशोधन की जरूरत है। 1894...

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उदारीकरण में पिसती ग्रामीण अर्थव्यवस्था- सुषमा वर्मा

विश्व बैंक की प्रबंध निदेशक क्रिस्टीना लेगार्ड ने हाल ही में रहस्योद्घाटन किया है कि भारत के अरबपतियों की दौलत पिछले 15 बरस में बढ़कर 12 गुना हो गई है। गौरतलब है कि यह वही दौर है जब भारत में आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत हुए चंद साल ही हुए थे। उदारीकरण के दो दशक बाद शहरी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के बीच का फासला लगातार बढ़ता ही नहीं जा रहा बल्कि...

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