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चिकित्सा शिक्षा, सुविधाओं के विस्तार पर किए जाएंगे 2100 करोड़ रुपये खर्च

भोपाल। प्रदेश में चिकित्सा शिक्षा और सुविधाओं के विस्तार पर सरकार करीब 2100 करोड़ रुपए खर्च करेगी। इससे मेडिकल कॉलेजों की स्थापना के साथ ही अत्याधुनिक सुविधाएं मेडिकल कॉलेजों और उनसे जुड़े अस्पतालों में उपलब्ध करवाई जाएंगी। प्रदेश सरकार द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक 7 नए मेडिकल कॉलेज खोले जा रहे हैं। इनमें रतलाम में 259 करोड़ 45 लाख, विदिशा में 265 करोड़ 31 लाख, शहडोल में 224 करोड़ 31...

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हिन्दू धर्म में विवाह एक पवित्र संस्कार है, कोई करार नहीं: हाईकोर्ट

‘हिन्दू धर्म में विवाह पवित्र संस्कार है, कोई करार नहीं। इसे किसी अनुबंध से बांधा नहीं जा सकता है।' दिल्ली हाईकोर्ट ने यह महत्वपूर्ण टिप्पणी की। कोर्ट ने रीति-रिवाज के बगैर अनुबंध के जरिए शादी करने वाली एक महिला को मृतक की पत्नी स्वीकार करने से इनकार करते हुए यह बात कही। अनुकंपा के आधार पर नौकरी मांगी थी: महिला ने दिल्ली सरकार के अस्पताल में काम करने वाले व्यक्ति...

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AIIMS: एक लाख नहीं है इसलिए घर नहीं जा पा रहा सीवान का रोहित

बिहार के सीवान का रहने वाला चौदह साल का रोहित कुमार एक साल पहले अपने घर जा सकता था, लेकिन एक साल से वह एम्स के वार्ड में पड़ा है क्योंकि उसके पास एक लाख रुपये नहीं हैं। दरअसल रोहित को एक पोर्टेबल वेंटिलेटर चाहिए जिसे खरीद पाने में उसका परिवार असमर्थ है। नई दिल्ली के एम्स के न्यूरो सर्जरी वार्ड-3 के 19 नंबर बेड पर रोहित को पिछले एक साल...

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कभी अंधेरा, तो कभी टापू में बसर करते है खरगोन जिले में वड़ियावासी

खरगोन/भगवानपुरा। विवेक वर्द्धन श्रीवास्तव/इसहाक पठान। विकसित प्रदेश का ढिंढोरा पीटने वाली सरकारें शहर से कभी ग्रामीण क्षेत्र में झांककर नहीं देख सकी। खरगोन जिले के कई पिछड़े गांवों में से एक गांव है वड़िया। भगवानपुरा जनपद अंतर्गत गोपालपुरा पंचायत का हिस्सा वड़िया आज भी पिछड़ेपन की जिंदगी जीने को बेबस है। पिछले 70 सालों में कोई 700 आवेदन दिए। नतीजा सिफर रहा।   यहां न पर्याप्त बिजली है और ना सड़क। अस्पताल...

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मप्र के 90 फीसदी अस्पतालों में एक्स रे, सीटी स्कैन कराने से खतरा

भोपाल। मध्यप्रदेश के 90 फीसदी सरकारी और निजी अस्पतालों में एक्सरे, सीटी स्कैन, मेमोग्राफी और डेंटल एक्सरे कराना खतरे का काम है। इनसे निकली रेडिएशन शरीर को धीमे जहर की तरह तोड़ती है जिनके न तो कोई लक्षण दिखाई देते हैं और न ही किसी जांच में तत्काल इनकी पुष्टि होती है। ऐसा परमाणु ऊर्जा नियामक मंडल (एईआरबी) की गाइडलाइन पालन नहीं के कारण हो रहा है जिसमें शिशुओं और गर्भवती...

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