स्थायी विकास पर हुए रियो सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन के मसले पर दुनिया के 100 देशों के प्रमुखों ने संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन को स्वीकार किया था, लेकिन आज 23 वर्ष बाद दुनिया एक बार फिर से चौराहे पर खड़ी है कि आगे के कदम किस तरह उठाए जाएं। कई देश चाहते हैं कि सभी देशों की जवाबदेही को सुनिश्चित करने के लिए उन्हें एक कानूनी संधि से जोड़ा अथवा...
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आदिवासियों, किसानों की जमीन बचाने से हो शुरुआत- सच्चिदानंद सिन्हा
बुजुर्ग समाजवादी चिंतक सच्चिदानंद सिन्हा के लेख व भाषण हम समय-समय पर छापते रहते हैं, जिनमें वह बार-बार चिह्न्ति करते हैं कि पर्यावरण और प्रकृति के विनाश के लिए अगर कोई जिम्मेदार है, तो वो है औद्योगीकरण और उपभोग आधारित अर्थव्यवस्था. और अगर इनसान नहीं चेता, तो इसी की वजह एक दिन वह खुद भी नष्ट हो जायेगा. एक और क्षेत्र उनकी चिंता में स्थायी रूप से रहता है कि अब...
More »जंगल के दावेदारों पर मंडराता खतरा - के सी त्यागी
भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के बाद अब आदिवासियों और जंगलों का मामला विवाद में है। ग्राम सभा की सहमति को, जो वन अधिकार कानून के अंतर्गत अनिवार्य है, समाप्त करने के संकेत मिल रहे हैं। संसद के इसी सत्र में यह प्रस्ताव लाया जा रहा है। जिन्हें हम आज अनुसूचित जातियों के अंतर्गत गिनते हैं, उन आदिवासियों की दशा अंग्रेजों के आगमन के समय से ही दयनीय हो चली थी। अंग्रेज...
More »बिहार को नये फॉर्मूले से भारी घाटा : नीतीश
पटना: 14वें वित्त आयोग की अनुशंसाओं पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को कहा कि इनसे बिहार को फायदा नहीं, बल्कि भारी घाटा होगा. 14वें वित्त आयोग ने केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी 32 फीसदी से बढ़ा कर 42 फीसदी तो कर दी है, जो राज्यों के हित में है. लेकिन, बैकवर्ड रिजन ग्रांट फंड (बीआरजीएफ) और केंद्रीय प्रायोजित योजना (सेंट्रल स्पांर्स्ड स्कीम) को खत्म कर दिया जायेगा. इसे...
More »...जहां महिलाएं कर रहीं हैं वनों की रक्षा
हिमालयी क्षेत्र में खूबसूरत नजारे वाले लाहौल स्पीति घाटी में 1980 के दशक में एक आंदोलन शुरू हुआ था। महिला कार्यकर्ताओं ने वनों की रक्षा में इस आंदोलन को शुरू किया था। बौद्ध आबादी बहुल इस क्षेत्र में महिलाओं के इस श्रम ने रंग लाया। इस आंदोलन की शुरुआत कवारिंग पंचायत में शुरू हुई, जहां की आबादी 112 थी। इसमें महिलाओं की संख्या 64 थी। बाद में यह आंदोलन घाटी के...
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