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देवी-देवताओं, शाह पर टिप्पणी करने के आरोप में कॉमेडियन गिरफ़्तार

-सत्यहिंदी, मध्य प्रदेश पुलिस ने गुजरात के एक स्टैंडअप कॉमेडियन और चार अन्य लोगों को शनिवार को गिरफ़्तार कर लिया। आरोप है कि इंदौर में शुक्रवार को आयोजित कार्यक्रम के दौरान कॉमेडियन ने हिन्दू देवी-देवताओं और केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह के ख़िलाफ़ अभद्र टिप्पणियाँ कीं। गिरफ़्तार किये गये कॉमेडियन पहले भी देवी-देवताओं पर फूहड़, अभद्र और द्विअर्थी टिप्पणियों को लेकर विवाद में रह चुके हैं। मुनव्वर फ़ारूक़ी पर आरोप गुजरात के जूनागढ़...

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बड़े संकट में बदलने को तैयार छोटी समस्याओं से घिरे भारत और दुनिया के लिए चीन भी है एक बड़ी चुनौती

-द प्रिंट, भारतीय अर्थव्यवस्था 2014 में चीनी अर्थव्यवस्था के मुक़ाबले तेजी से बढ़ने लगी थी और अगले तीन साल तक उसने यह गति बरकरार रखी. 2018 में भविष्यवाणी की गई थी कि 2020 तक इस रैंकिंग में कोई बदलाव नहीं होगा. लेकिन समय ने करवट बदली, चीन जल्दी ही आगे निकलने लगा और दोनों के बीच फासला बढ़ता गया. अनुमान है कि इस साल उसकी अर्थव्यवस्था में 2 प्रतिशत की वृद्धि होगी,...

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किसान आंदोलन: सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को नये साल से क्या उम्मीदें हैं?

-बीबीसी,  मोदी सरकार के नये कृषि क़ानूनों की मुख़ालफ़त कर रहे हरियाणा-पंजाब के किसानों को नये साल से बहुत उम्मीदें हैं. किसानों को प्रदर्शन करते हुए महीना भर से अधिक हो चुका है, केंद्र सरकार से जारी बातचीत में उन्हें अब तक कोई बड़ी सफलता हाथ नहीं लगी है, पर उन्हें विश्वास है कि जीत उन्हीं की होगी. किसानों की प्रमुख माँग अब यह है कि 'सरकार उन्हें बताये कि वो तीनों कृषि...

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सूचना की महामारी, फैक्‍ट-चेक का हैंडवॉश और सत्‍य का लॉकडाउन

-न्यूजलॉन्ड्री, कुछ दिन पहले एक पत्रकार साथी का फोन आया था. वे दिल्‍ली के एक ऐसे शख्‍स की खोज खबर लेने को उत्‍सुक थे जिसे ज्‍यादातर अखबारों और टीवी चैनलों ने 9 अप्रैल, 2020 को मृत घोषित कर दिया था. मरे हुए आदमी को खोजना फिर भी आसान होता है, लेकिन ये काम थोड़ा टेढ़ा था. मित्र के मुताबिक व‍ह व्‍यक्ति जिंदा था. कुछ अखबारों और चैनलों के मुताबिक वह मर...

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किसान आंदोलन से देश को क्या सबक लेना चाहिए

-न्यूजलॉन्ड्री, क्या भारत के किसानों को आज पता चला है कि भारतीय झूठ पार्टी का सारा खेल नफ़रत की सौदागरी और झूठ का प्रपंच है, जो इनकी मूल संघी विचारधारा से निकलता है? ऐसा नहीं है, पता तो सबको था, पर आज वे बोलने लगे हैं. तो अब तक क्यों नहीं कह पाए थे? इस बात पर सोचना-समझना ज़रूरी है, क्योंकि किसान अपनी लड़ाई जीतेंगे और भाजपा तब भी रहेगी. दरअसल...

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