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ग्रेनो: हाईकोर्ट ने किया जमीन अधिग्रहण रद्द, चंदौली में किसानों ने सजाईं चिताएं- विजय उपाध्याय

लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महीने में लगातार अपने तीसरे आदेश में ग्रेटर नोएडा में तत्काल महत्व की औद्योगिक जरूरतों के नाम पर 170 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण रद्द कर दिया है। इस बार दादरी तहसील के गुलिस्तापुर के 550 किसानों को राहत मिली है। सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति सुनील अंबवानी व न्यायमूर्ति केएन पांडेय की खंडपीठ ने 58 याचिकाओं पर सुनवाई के बाद 2007-08 में ग्रेटर नोएडा के...

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अकाल, भुखमरी इस देश में कई समुदायों की जीवनसाथी है- विनायक सेन से आशीष कुमार अंशु की बातचीत

विनायक सेन को लेकर मीडिया और समाज में दो तरह की छवि है। एक विनायक सेन, जिन्हें हमेशा देश के दुश्मन के तौर पर पेश किया जाता है, दूसरे विनायक सेन वे जो आदिवासियों के शुभचिंतक हैं और गरीब समाज के मसीहा हैं। दोनों विचार अतिवादी हैं। इस तरह एक आम भारतीय असमंजस की स्थिति में है कि वह इन दोनों में से किसे सच माने और किसे झूठ! यदि हम मीडिया की नजर...

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जन्म से बंधी सामाजिक बेड़ियां : हर्ष मंदर

लाखों महिलाएं, पुरुष और बच्चे आज भी उन अपमानजनक सामाजिक बेड़ियों में बंधे हुए हैं, जो उनके जन्म से ही उन पर लाद दी गई थीं। आधुनिकता की लहर के बावजूद आज भी भारत के दूरदराज के देहातों में जाति व्यवस्था जीवित है। यह वह व्यवस्था है, जो किसी व्यक्ति के जाति विशेष में जन्म लेने के आधार पर ही उसके कार्य की प्रकृति या उसके रोजगार का निर्धारण कर...

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भूमि अधिग्रहण: जान दे देंगे, पर जमीन नहीं

लखनऊ। ग्रेटर नोएडा का भट्टा परसौल मुद्दा गरम रहने के बीच उत्तर प्रदेश के चन्दौली में भूमि अधिग्रहण के खिलाफ किसान सडकों पर उतर आए। जिले के कटेसर गांव के किसान गत 24 मई से अपनी 121 हेक्टेयर कृषि भूमि के अधिग्रहण के विरोध में धरना दे रहे हैं1 इस भूमि पर नयी काशी नाम से सांस्कृतिक केन्द्र बनाया जाना है। किसानों ने चेतावनी दी है कि अपनी मांग पूरी हुए बिना आंदोलन...

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लोकतंत्र का लट्ठ- रेयाज उल हक (तहलका)

भट्टा-पारसौल में जो हुआ और जिस अंदाज में हुआ उससे साफ है कि उत्तर प्रदेश सरकार को असहमति और विरोध के लोकतांत्रिक अधिकार की जरा भी परवाह नहीं. रेयाज उल हक की रिपोर्ट अगर यह लोकतंत्र है तो भट्टा-पारसौल के लोगों ने इसका मतलब देखा और महसूस किया है. देश की संसद से बमुश्किल 70 किलोमीटर दूर बसे 6000 जनों की आबादी वाले इस गांव ने लोकतंत्र को गोलियों के रूप...

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