लंदन। आर्थिक मंदी के कारण विकसित देशों में बेरोजगारी के हालात लगातार बदतर होते जा रहे हैं। पेरिस स्थित आर्थिक थिंक टैंक ओईसीडी के मुताबिक विकसित देशों में करीब 1.7 करोड़ लोगों को पिछले एक साल से कोई काम नहीं मिला है। ऑर्गेनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक कोऑपरेशन एंड डेवलेपमेंट (ओईसीडी) ने अप्रैल-जून तिमाही के आंकड़ों के आधार पर यह रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में अमेरिका और स्पेन सहित कुल 33...
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जरूरत रोजगार के अवसर बढ़ाने की- नयन चंदा
अपने देश के 80 करोड़ गरीब लोगों के लिए खाद्य सुरक्षा मुहैया करवाने की शुरुआत भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है। इस प्रकार की सामाजिक सुरक्षा वाली लोक कल्याणकारी योजना शुरू करना नैतिक रूप से सराहनीय है, लेकिन आर्थिक नजरिए से यह समस्या पैदा करने वाली भी है। इतनी बड़ी संख्या में लोगों के लिए शुरू की गई ऐसी योजना को निरंतर बनाए रखने और उसके लिए पैसा जुटाने के लिए ...
More »लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करने वाले- तवलीन सिंह
राहुल गांधी के कहने पर सरकार ने अपना अध्यादेश वापस ले लिया पिछले सप्ताह। जिस दिन से राहुल जी ने अध्यादेश के खिलाफ आवाज उठाई, उस दिन से ही तय हो गया कि ऐसा होना ही था, लेकिन ऐसा लगने लगा है मुझे कि दिल्ली में बैठे कई वरिष्ठ राजनीतिक पंडितों को अपनी 'बकवास' पर विश्वास होने लगा है। सो अध्यादेश के वापस लिए जाने के अगले दिन अखबारों की सुर्खियों...
More »नौकरी देने वाला स्थायी उपाय नहीं है नरेगा: जयराम रमेश
नई दिल्ली। ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश का कहना है कि राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना देश के ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार दिलाने का कोई स्थायी उपाय नहीं है। ‘आईडीएफसी लिमिटेड की भारतीय ग्रामीण विकास रिपोर्ट 2013’ को जारी करते हुए रमेश ने कहा, ‘‘मैं नरेगा को स्थायी रोजगार पैदा करने वाला कार्यक्रम नहीं मानता। यह उन इलाकों में 20 से 25 साल का अवस्थांतरण कार्यक्रम है, जहां रोजगार का और...
More »यौन हिंसा की जड़ें- रुचिरा गुप्ता
जनसत्ता 4 सितंबर, 2013 : कुछ दिन पहले जब मैंने मुंबई में एक तेईस वर्षीय फोटो पत्रकार के साथ बलात्कार की घटना के बारे में पढ़ा, तो कुछ पुरानी घटनाएं सामने घूमने लगीं। यानी फिर से वही सब! करीब उनतीस साल की उम्र में छह दिसंबर, 1992 को जब मैं एक रिपोर्टर की हैसियत से उत्तर प्रदेश में बाबरी मस्जिद विध्वंस की घटना की खबर जुटा रही थी तो मुझ...
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