यूरोप का पहला देश है स्वीडन, जहां सन् 1661 में पहली बार बैंक नोट जारी किया गया था. उसी स्वीडन ने 2030 तक संपूर्ण रूप से करेंसी नोट मुक्त करने का संकल्प किया है. स्टाॅकहोम रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर निकलस अरविंदसन ने 2013 में एक अध्ययन के जरिये अनुमान लगाया था कि स्वीडन 2030 तक ‘मुद्रामुक्त समाज‘ घोषित हो जायेगा. अरसे से स्वीडन की बसों, मेट्रो में कैश...
More »SEARCH RESULT
SBI ने माल्या समेत 63 विलफुल डिफाल्टर्स का लोन राइट ऑफ किया
नयी दिल्ली : देश के सबसे बड़े सार्वजनिक बैंक एसबीआइ ने अपने 7,016 करोड़ रुपये के एनपीए को राइट ऑफ कर दिया है. इसमें भगोड़ा घोषित हो चुके शराब करोबारी विजय माल्या का 1,201 रुपये का लोन भी शामिल है. बता दें कि विजय माल्या एसबीआइ के नेतृत्व वाले सत्रह बैंकों के कंसोर्टियम के नौ हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के डिफॉल्टर हैं और इसी साल मार्च महीने से देश...
More »समृद्ध झारखंड का जनस्वप्न --- अनंत कुमार
राजनेताओं ने यह सोचा था कि शासन में स्थानीय आदिवासियों की सहभागिता झारखंड का विकास सुनिश्चित करेगी. दुर्भाग्यवश, खनिजों, वनों तथा प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न झारखंड भ्रष्टाचार, विकास की कमी, नक्सलवाद, राजनीतिक अस्थिरता, कुशासन, आदिवासियों के शोषण के साथ कुछ अन्य सामाजिक तथा राजनीतिक समस्याओं का शिकार हो गया. दूसरी ओर, राजनीतिक नेतृत्व, सिविल सोसाइटी तथा अकादमिक क्षेत्र राज्य के विकास की एक प्रभावी योजना तैयार नहीं कर सका. इस स्थिति...
More »सरकार की पैनी नजर : सोना-चांदी खरीदकर भी नहीं खपा सकेंगे ब्लैक मनी
नयी दिल्ली : देश के ब्लैक मनी पर सरकार की पैनी नजर है. सरकार 8 नवंबर के बाद होने वाले लेनदेन का ब्योरा रखेगी इतना ही नहीं सोना और हीरा खरीदने वालों पर भी सरकार की नजर है. आपको बता दें कि एक हजार और 500 के नोट बंद होने के बाद जिन लोगों ने बड़ी संख्या में ब्लैक मनी जमा कर रखी है. वे लोग अब इसे खपाने...
More »नोटबंदी के साइड इफेक्टस् : सबसे ज्यादा चोट किसपर ?
विमुद्रीकरण से मची अफरा-तफरी के बीच क्या देश इस हालत में है कि रोजमर्रा की चीजों की खरीद के लिए सरकारी घोषणाओं के मुताबिक बैंकों और एटीएम से नगदी जुटा सके ? सरकारी घोषणाओं में देशवासियों से कहा गया है कि वे नगदी की तात्कालिक कमी से होने वाली असुविधा के लिए क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, मोबाइल और इलेक्ट्रानिक वैलेट का इस्तेमाल करें. लेकिन क्या देश कैशलेस इकॉनॉमी की तरफ कदम...
More »