उत्तराखंड को अलग राज्य बनाने के पीछे सोच यह थी कि यहां की भौगोलिक परिस्थितियां और दुर्गमता विकास के अलग रास्ते की मांग करते हैं। स्थानीय लोगों को यकीन था कि उनके हालात को समझने की क्षमता मैदानी नीतिकारों में नहीं है। केंद्र को झुकना पड़ा और राज्य की मांग पूरी हुई। लेकिन अब पलटकर देखें, तो इन 15 वर्षों में उत्तराखंड को आठ मुख्यमंत्रियों के अलावा शायद ही कोई...
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श्रमिकों की मौत का मामला, चाय बागान नहीं चला सकते तो छोड़ दें: ममता
अलीपुरद्वार. उत्तर बंगाल के चाय बागानों में भूख और पैसे के अभाव में इलाज न करा पाने से श्रमिकों की हो रही मौत को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को बागान मालिकों को कड़ा संदेश दिया. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर वे (बागान मालिक) चाय बागान नहीं चला पा रहे हैं तो इसे छोड़ दें. राज्य सरकार खुद श्रमिकों के हित में बागान चलायेगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि...
More »समझा दर्द, मर्ज के उपचार को पहुंचे घर
नैनोहेल्थ की 'डॉक-इन-ए-बैग' तकनीक वैसे तो रिवाज है कि मरीज उपचार के लिए डॉक्टर के पास या अस्पताल पहुंचे, लेकिन हैदराबाद स्थित इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस के कुछ छात्रों ने 'नैनोहेल्थ' के नाम से एक ऐसे सोशल एंटरप्राइज की स्थापना की है, जिसके तहत 'डॉक-इन-ए-बैग' किट के साथ स्वास्थ्य कार्यकर्ता डॉक्टरी परामर्श व दवाइयों के साथ घर-घर इलाज मुहैया करा रहे हैं. तो आइए जानें, यह...
More »महंगाई में किसका स्वार्थ है-- अश्वनी कुमार ‘शुकरात'
फिल्म ‘पीपली लाइव' का एक गीत काफी लोकप्रिय हुआ था। इस गीत के माध्यम से एक प्रमुख सामाजिक-आर्थिक समस्या महंगाई की ओर ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया गया है। गीत के बोल हैं- ‘सइयां तो बहुत कमात हैं, महंगाई डायन खाए जात है।' यानी रात-दिन काम करने के बावजूद कमाई की अपेक्षा महंगाई कई गुना अधिक बढ़ती जा रही है। इसलिए घर में जो जरूरी पदार्थ आने चाहिए, वे...
More »चार दिन तक नहीं मिला खाना, पहाड़ी कोरवा की भूख से मौत
बगीचा (निप्र) पत्नी का इलाज कराने के लिए सन्ना गए एक पहाड़ी कोरवा की चार दिन तक खाना नहीं मिलने से मौत हो गई। पत्नी की आंख का इलाज कराने के लिए उसे सन्ना प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में उसे चार दिन रुकना पड़ा। इस दौरान उन्हें खाना नहीं मिला। चार दिन बाद अपने गांव लेदरापाठ लौटने लगे। शाम हो जाने की वजह से वे खुंटाटांगर बस्ती के पास एक मिर्ची...
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