रांची : झारखंड में पिछले नौ साल में वज्रपात से 1568 लोगों की मौत हुई है. आपदा प्रबंधन विभाग के आंकड़ों पर गौर करें, तो वित्तीय वर्ष 2016-17 में मौत की संख्या 265 तक पहुंची है. प्रदेश में वज्रपात को राज्य सरकार ने विशिष्ट आपदा घोषित कर रखा है. पीड़ितों के लिए मुआवजे का प्रावधान भी है. लेकिन वज्रपात से बचाव और समय पर लोगों को सूचना देने का तंत्र...
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मीडिया के लिए आत्मचिंतन का समय- अनूप भटनागर
17वीं लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया संपन्न हो गयी है लेकिन सात चरणों के इस चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों के बयानवीर नेताओं और मीडिया की भूमिका सुर्खियों में रही। नतीजा यह हुआ कि न्यायपालिका ने राजनीतिक दलों के नेताओं को कटुता पैदा करने वाले भाषणों के लिये आड़े हाथ लेने के साथ ही इस तरह के भाषणों और बयानों को प्रमुखता देने की मीडिया की भूमिका पर भी नाराजगी व्यक्त...
More »विपक्ष के इस हश्र में कुछ नया नहीं- हरजिंदर
अगर आम चुनाव में नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी की जीत दुनिया की सबसे बड़ी जीत है, तो विपक्षी दलों की हार को क्यों न दुनिया की सबसे बड़ी हार मान लिया जाए? यह तय है कि विपक्षी दल इस तरह के तर्क को स्वीकार नहीं करेंगे, लेकिन बहुत से लोग ऐसा मान चुके हैं और शायद इसीलिए विपक्ष को मिलने वाली लानतों का ढेर लगातार ऊंचा होता जा रहा...
More »टॉपर्स का कारखाना और कामयाबी के असल मायने- अभिजीत पाठक
बीते दिनों सीबीएसई के बारहवीं के नतीजे आए. इसमें कुछ आश्चर्यजनक नहीं है कि ‘सफलता' को पूजने वाले इस समाज में हर जगह ‘टॉपर्स' का गुणगान किया जाता है. जब टेलीविजन चैनल उनका इंटरव्यू करते हैं और अखबार उनकी- ‘कड़ी मेहनत', ‘एकाग्र अध्ययन', अभिभावकों की प्रेरक भूमिका- की कहानियां सुनाते हैं, तब हम सीखने के अनुभव और प्रदर्शन को आंकड़ों में बदलकर और मिथकीय बना देते हैं, जैसे- 499/500! हालांकि ‘असफलताओं'...
More »कम नहीं चुनाव आयोग की शक्तियां- नवीन चावला
भारत में जाति पर बहस राजनीतिक परिणामों की एक निर्धारक है। यह वर्ष 2019 के आम चुनाव सहित भारत में तमाम चुनावों की एक रोचक विशिष्टता है। यह ऐसी निर्धारक है कि मतदाताओं के बीच अति लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी चुनाव अभियान में अपनी जातिगत पहचान बतानी पड़ती है। उत्तर और केंद्रीय भारत की ज्यादातर क्षेत्रीय पार्टियों को किसी जाति या बिरादरी विशेष के लिए पहचाना जाता है।...
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