सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) की एक हालिया रिपोर्ट डिजिटल डिवाइड और भारत के कैशलेस अर्थव्यवस्था बनने के विरोधाभास को उजागर करती है. नेशनल सैंपल सर्वे (एनएसएस) की ‘भारत में शिक्षा पर घरेलू सामाजिक उपभोग के प्रमुख संकेतक, जुलाई 2017 से जून 2018' नामक रिपोर्ट में कंप्यूटर और इंटरनेट की उपयोगिता के मामले में ग्रामीण-शहरी विभाजन काफी स्पष्ट दिखता है. शिक्षा पर 75वें दौर के नेशनल सैंपल सर्वे (एनएसएस) की...
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दाम न सम्मान, इनके हिस्से दिन-रात बस काम ही काम
क्या आप ऐसा कोई काम करना पसंद करेंगी जहां काम के घंटे लंबे हों, कोई छुट्टी न मिले, प्रमोशन का कोई चांस न हो, सबसे बड़ी बात इस जॉब में सैलरी का कोई प्रावधान न हो? यह मजाक नहीं और न ही कोई पहेली है. यह हकीकत है उन औरतों की जो बिना छुट्टी दिन-रात घर में खाना पकाने, साफ सफाई, बच्चा पालने समेत कई अन्य कामों में व्यस्त रहती...
More »पैन, बैंक और जमीन से जुड़े दस्तावेजों से नागरिकता साबित नहीं होती : गुवाहाटी हाईकोर्ट
गुवाहाटी हाईकोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में कहा है कि पैन, बैंक और जमीन से जुड़े दस्तावेजों से नागरिकता साबित नहीं की जा सकती. गुवाहाटी हाई कोर्ट ने विदेशी न्यायाधिकरण के फैसले के खिलाफ एक महिला की याचिका खारिज करते हुए यह बात कही है. न्यायाधिकरण (ट्रिब्यूनल) ने महिला को विदेशी नागरिक की श्रेणी में रखा था. हालांकि, प्रशासन ने भूमि और बैंक खातों से जुड़े दस्तावेजों को स्वीकार्य...
More »कोरोना वायरस ने भारत के इस गांव को पूरी तरह ठप किया
पश्चिम बंगाल में पूर्वी मिदनापुर ज़िले का भगबानपुर गांव चीन के वुहान शहर से ठीक 2,799 किलोमीटर दूर है. वुहान वही जगह है जहां से कोरोना वायरस का संक्रमण फैलना शुरू हुआ. वुहान से इतनी दूर होने के बावजूद भगबानपुर कोरोना वायरस से बुरी तरह प्रभावित है. इस इलाक़े में रहने वाली पुतुल बेरा और रीता मेती जैसे सैकड़ों लोग कोरोना वायरस के कारण संकट में हैं. ये लोग इंसानी बालों से विग...
More »'नागरिक सत्याग्रह पदयात्रा' कर रहे लोगों को जेल में डाला यूपी पुलिस ने
चौरीचौरा गोरखपुर से राजघाट नई दिल्ली के लिए निकली ‘नागरिक सत्याग्रह पदयात्रा’ 200 किमी यात्रा करके 11 फरवरी को गाजीपुर पहुंची, जहां स्वागत करने के स्थान पर पुलिस ने सत्याग्रही पदयात्रियों को शांतिभंग की धाराओं में जेल भेज दिया. यह यात्रा चौरी-चौरा से इसलिए शुरू की गई क्योंकि ‘यह वो जगह थी जहां 1922 में यानी लगभग सौ साल पहले अंग्रेजों के खिलाफ हुई हिंसा के कारण गांधी ने असहयोग आंदोलन...
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