कृषि और विनिर्माण (मैन्युफैक्चरिंग) क्षेत्र में खराब प्रदर्शन के कारण चालू वित्तवर्ष में विकास दर की रफ्तार साढ़े छह प्रतिशत पर थमने की आशंका एक बार फिर बढ़ गई है। यह अनुमान केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने जताया है जिसके मुताबिक प्रतिव्यक्ति आय बढ़ने की गति अत्यंत धीमी है और साथ ही विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर घट कर छह साल के न्यूनतम स्तर (4.6 प्रतिशत) पर आ गई है।...
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इस राज्य में महिलाओं और बच्चों के लिए बनेंगे पिंक टॉयलेट
बेंगलुरू। कर्नाटक में जल्द ही महिलाओं, लड़कियों के लिए पिंक टॉयलेट नजर आएंगे। नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स( NCPCR) ने यहां दिल्ली की तर्ज पर पिंक टॉयलेट्स बनाने को मंजूरी दे दी है। हरी झंडी मिलने के बाद कर्नाटक में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए बने कमीशन( KCPCR) ने राज्य में ऐसे टॉयलट बनाने का काम शुरू करने का फैसला कर लिया है। सूत्रों की मानें तो...
More »चिंताजनक: और गहराई अमीरी-गरीबी की खाई, सिर्फ 1% ने कब्जाई 73% नई संपत्ति
देश की आय में असमानता की चिंताजनक तस्वीर पेश करते हुए पिछले साल के आधार पर नए सर्वे ने बताया है कि 2017 में अर्जित देश की 73 फीसदी संपत्ति सिर्फ देश की एक फीसदी आबादी के पास गई है। 73 फीसदी संपत्ति सिर्फ एक फीसदी आबादी के पास जबकि, 67 करोड़ भारतीयों की संपत्ति में सिर्फ एक फीसदी का इजाफा हुआ है, जो देश की कुल आबादी का करीब आधा हिस्सा...
More »इस बार दावोस इतना अहम क्यों है-- पुष्परंजन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विश्व आर्थिक फोरम के उद्घाटन के अवसर पर आज बीज वक्तव्य देंगे। वल्र्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) के ग्लोबल प्रमुख (प्रोग्रामिंग) ली हॉवेल ने एक पते की बात कही है कि ‘इस बार सम्मेलन में आए शासन प्रमुख बोलें कम और लोगों की सुनें ज्यादा।' प्रधानमंत्री मोदी के बीज वक्तव्य से आरंभ इस पांच दिवसीय सम्मेलन का समापन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भाषण से होगा। बीच में...
More »आशंकाओं के निराधार तर्क-- नंदन नीलेकणि
यह संभव नहीं कि चित और पट, दोनों आपकी ही हो। अर्थशास्त्री इसे ‘समझौता' कहते हैं। आप हर वक्त दो विरोधी मतों के बीच संतुलन बिठाते हैं। मसलन, 18वीं सदी के अंत तक या तो आप चार पहियों वाली घोड़ागाड़ी की सवारी कर सकते थे, जो धीरे-धीरे, लेकिन आपको एक सुविधाजनक यात्रा कराती, या फिर घोड़े की पीठ की सवारी करते थे, जिसमें आप मंजिल तक तेज तो पहुंच जाते,...
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