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किसानों की मौत छिपाता और सैनिकों की मौत भुनाता दिखावटी राष्ट्रवाद- अनुराग मोदी

1965 में एक तरफ देश की सीमा पर पाकिस्तान के साथ युद्ध हो रहा था और दूसरी तरफ देश सूखे और अकाल के संकट से जूझ रहा था. ऐसे समय में तत्कालीन प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री ने नारा दिया था- ‘जय-जवान, जय-किसान.' आज पहले से ज्यादा किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे है- कुछ नहीं बदला, बल्कि इतने बुरे हालात कभी नहीं रहे. सरकार की नीतियों ने उनकी समस्या और बढ़ा...

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बढ़ते तापमान में मानसून की राहत- महेश पलावत

भारत में मानसून की भविष्यवाणी काफी अहमियत रखती है। इसके महत्व का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यह देश की कृषि-पैदावार और अर्थव्यवस्था की दशा-दिशा तय करती है। चूंकि भारत की करीब 58 फीसदी आबादी अब भी अपनी आजीविका के लिए खेती पर निर्भर है और सिंचाई का प्रमुख साधन मानसूनी बारिश है, इसलिए इस भविष्यवाणी से यह आकलन किया जाता है कि खरीफ की फसल कितनी...

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नमक से पहले पानी: आंबेडकर का महाड़ मार्च बनाम गांधी का दांडी मार्च-- सिद्धार्थ

आज से करीब 90 साल पहले, 20 मार्च, 1927 को डॉ. आंबेडकर ने महाड़ के चावदार तालाब से दो घूंट पानी पीकर ब्राह्मणवाद के हजारों वर्षों के कानून को तोड़ा था और ब्राह्मणवाद को चुनौती दी थी. वहीं, 6 अप्रैल, 1930 को गांधी ने नमक हाथ में लेकर अंग्रेजों के कानून को तोड़ा और ब्रिटिश सत्ता को चुनौती दी. दोनों इतिहास की बड़ी घटनाएं हैं और दोनों का असर वर्तमान...

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आर्थिक असमानता लोगों को मजबूर कर रही है कि वे बीमार तो हों पर इलाज न करा पाएं- सचिन जैन

दुनिया में जितनी आर्थिक और संसाधनों की असमानता बढ़ी है, उसमें सबसे ऊंचा स्थान भारत का है. विश्व असमानता रिपोर्ट (वर्ल्ड इनइक्वालिटी रिपोर्ट 2018) के अनुसार, चीन में 1 प्रतिशत संपन्न लोगों के नियंत्रण में 13.19 प्रतिशत संपदा, जर्मनी में 13 प्रतिशत, फ्रांस में 10.8 प्रतिशत और अमेरिका में 15.7 प्रतिशत संपदा थी; जबकि भारत में 1 प्रतिशत लोगों के नियंत्रण में 22 प्रतिशत संपदा जा चुकी है. यह महज़ आंकड़ों...

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पिछले छह साल में रोजगार की तलाश करने वाली ग्रामीण महिलाओं की संख्या में 2.8 करोड़ की कमी आई

नई दिल्ली: साल 2004-05 से अब तक पांच करोड़ से अधिक ग्रामीण महिलाएं राष्ट्रीय बाजार की नौकरियां छोड़ चुकी हैं. साल 2011-12 से अब तक महिलाओं की भागीदारी 7 फीसदी कम हो चुकी है जिसका असर यह हुआ है कि करीब 2.8 करोड़ कम महिलाएं नौकरी की तलाश कर रही हैं. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, एनएसएसओ की पीरियाडिक लेबर फोर्स सर्वे (पीएलएफएस) 2017-18 की रिपोर्ट के अनुसार, यह संख्या 15-59 आयु...

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