आंध्र प्रदेश में वारंगल से 15 किलोमीटर दूर एक बस्ती में मशहूर पोचमपल्ली रेशमी साड़ियां बनानेवाले कारीगर रहते हैं. बस्ती की महिलाएं दिन भर साड़ी के लिए रेशमी धागा तैयार करने में लगी रहती हैं. पहले धागे की फ़िनिशिंग 42 पिनों वाले आसू नामक उपकरण से की जाती थी. इसके जरिये एक साड़ी लायक धागा तैयार करने में एक महिला को औसतन नौ हजार बार अपने हाथों को आगे-पीछे करना पड़ता था, जिससे ना...
More »SEARCH RESULT
राहत शिविर या शामत शिविर!- राजकुमार सोनी(तहलका)
वे गांव लौटे तो नक्सलवादियों का निशाना बन जाएंगे और यदि राहत शिविरों में रहते हैं तो उन्हें अमानवीय परिस्थितियों के बीच ही बाकी जिंदगी गुजारनी पड़ेगी. सलवा जुडूम अभियान के दौरान बस्तर के राहत शिविरों में रहने आए हजारों ग्रामीण आदिवासी आज त्रिशंकु जैसी स्थिति में फंसे हैं. राजकुमार सोनी की रिपोर्ट कोतरापाल गांव की प्रमिला कभी 15 एकड़ खेत की मालकिन थी, लेकिन गत छह साल से वह अपने...
More »जमीन हथियाने को एम्मार ने बनाई थी फर्जी कंपनियां
नई दिल्ली। आंध्र प्रदेश में भूमि घोटाले की जांच कर रही सीबीआइ ने आरोप लगाया है कि रीयल्टी कंपनी एम्मार एमजीएफ [ईएमएलएल] ने हैदराबाद में खास-खास जगहों पर जमीन हड़पने के लिए दस फर्जी कंपनियां बनाई थी। जांच एजेंसी का दावा है कि ईएमएलएल के प्रबंध निदेशक श्रवण गुप्ता के निर्देश पर कर्मचारियों के नाम से ये कंपनियां खोली गई थीं। हैदराबाद स्थित विशेष अदालत में दायर अपने आरोप पत्र में...
More »नक्सल प्रभावित राज्यों में जनता को अधिकार सौंपने और धारणा बदलने की नयी पहल
नयी दिल्ली, पांच जनवरी (एजेंसी) नक्सल प्रभावित नौ राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ केन्रदीय गृहमंत्री पी चिंदबरम अगले महीने बैठक कर ताजा हालात की समीक्षा करेंगे। माओवादियों से निपटने की मौजूदा नीति में दो नयी बातें जोडने के बारे में इस बैठक में चर्चा हो सकती है जो नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में जनता को अधिकार विशेषकर वन अधिकार सौंपना और मीडिया के जरिए उनकी धारणा बदलना है । सरकारी सूत्रों ने बताया कि...
More »कचरे से बनी बिजली दिल्ली के लिए घातक- प्रतिभा शुक्ल
नई दिल्ली, 3 जनवरी। राजधानी दिल्ली को मौत के मुहाने पर धकेला जा रहा है। यहां कचरे से बिजली बनाने के संयंत्रों को स्थापित कर उन्हें चलाने की तैयारी जोरशोर से चल रही है। जबकि कचरा जलाने से जहरीले रसायन डाईआक्सिन के हवा में घुलने का खतरा है जो राजधानीवासियों को घातक बीमारियों की चपेट में ला देंगे। तमाम विरोधों के बावजूद कार्य प्रगति पर है। रेजीडेंट्स वेलफेयर एजंसियों ने इस...
More »