गरीबी में लगातार कमी के चलते भारत अब दुनिया में सबसे बड़ी गरीब आबादी वाला देश नहीं रहा है. अमेरिका के शोध संस्थान ब्रूंिकग्स ने अपने एक अध्ययन में यह निष्कर्ष निकाला है. फर्म के ब्लाग में प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार 2018 की शुरुआत में ही, अत्यधिक गरीबी में जीवन यापन कर रही सबसे बड़ी आबादी के लिहाज से नाइजीरिया, भारत से आगे निकल गया. यही नहीं, कांगो जल्द...
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आदिवासियों के बाद अब ओबीसी समुदाय का सरकार के खिलाफ मोर्चा
रायपुर। छत्तीसगढ़ में चुनावी साल में आदिवासियों के बाद अब ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) ने भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। राज्य में ओबीसी आबादी करीब 52 फीसद है। आबादी के अनुपात में आरक्षण की मांग को लेकर ओबीसी लगातार आंदोलित होते रहे हैं। सोमवार को ओबीसी आंदोलन को हवा देने दिल्ली से स्वामी अग्निवेश यहां आ रहे हैं। सुभाष स्टेडियम के पास शासकीय बहुउद्देश्यीय उच्च्तर माध्यमिक विद्यालय...
More »वैश्विक शांति सूचकांक में भारत का दर्जा पहले से बेहतर लेकिन अंदरुनी संघर्ष के मोर्चे पर हालात चिन्ताजनक
नये वैश्विक शांति सूचकांक रिपोर्ट में भारत की स्थिति पिछले साल के मुकाबले बेहतर हुई है लेकिन समाजी अमन और सियासी स्थिरता के एतबार से रिपोर्ट से निकलते संकेत भारत के लिए चिन्ताजनक हैं. रिपोर्ट के मुताबिक सत्ता के शिखर पर ताकत के सिमटते जाने के कारण भारत का अंकमान सियासी अतिवाद तथा अंदरुनी संघर्ष के पैमाने पर चिन्ताजनक ऊंचाई पर है. रिपोर्ट में भारत को 163 देशों की सूची में इस साल...
More »नई जमीन तलाशती राजनीति-- बद्रीनारायण
चुनावी राजनीति में कई बार छोटी दिखने वाली राजनीतिक पार्टी या राजनीतिक शक्ति महत्वपूर्ण हो उठती है। लोकतांत्रिक संयोग उसे सहसा महत्वपूर्ण बना देता है। कुछ सप्ताह पहले कर्नाटक विधानसभा चुनाव का पूरा विमर्श दो दलों- कांगे्रस और भाजपा पर केंद्रित था। चुनाव के बाद उपजी स्थितियों के कारण सहसा जनता दल (सेकुलर), जो तीसरे नंबर की पार्टी थी, महत्वपूर्ण हो उठी। इस घटना का दूसरा महत्वपूर्ण निहितार्थ राष्ट्रीय स्तर...
More »किसानी से डरने वाला समाज-- मृणाल पांडे
आज के भारत भाग्य विधाता मानें या नहीं, अन्न उत्पादन के मामले में भारत का आत्मनिर्भर बन जाना, बीसवीं सदी की सबसे बड़ी घटनाओं और हमारी राष्ट्रीय उपलब्धियों में से है. लेकिन, कम लोगों को याद होगा कि हरित क्रांति के जनक नॉर्मन बोरलॉग ने नोबेल पुरस्कार ग्रहण करते वक्त भाषण में दो बातें कही थीं. पहला, हरित क्रांति अमरता की बूंदें पी कर नहीं आयी. इसका भी किसी दिन...
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