SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 533

कौन ठगवा नगरिया लूटल हो : गोपालकृष्ण गांधी

‘लूट’ शब्द जो है, ठेठ हिंदी का है। उर्दू में भी उसकी अपनी जगह है। यानी उसका घर हिंदुस्तानी में है, बोलचाल की मिली-जुली जुबान में। और अफसोस, अब उसका घर हमारी हर जुबान में है, हर दिमाग में, हमारी निराशा में, हमारे गुस्से में, हमारे आक्रोश में। आजकल हम लूट, लुट जाने और लुटेरों के बारे में इतना पढ़ते, देखते और सुनते हैं कि लगता है ‘लूट’ शब्द हमारे लिए और हमारे...

More »

नमस्कार-चमत्कार और प्रणाम...- गोपालकृष्ण गांधी

बात खादी-परंपरा से जुड़ी राजनीति की ही नहीं। हर दल की विश्वसनीयता ने क्षति देखी है। डॉ. लोहिया को कौन समाजवादी आज याद नहीं करता? अटलजी की आवाज सुनने आज कौन भाजपा समर्थक आतुर नहीं? एमना पागे लाग, गोपू (इनको प्रणाम कर, गोपू।) घर में जब कोई बुजुर्ग तशरीफ लाते तो पिताजी मुझे गुजराती में यह हिदायत देते। हिदायत क्या, आदेश ही समझिए। वह आदेश बहुत सुहावना होता था, क्यूंकि...

More »

खाद्य सुरक्षा की खातिर - सुभाष वर्मा

जनसत्ता 5 जनवरी, 2012: पूरी दुनिया में एक सौ पचीस करोड़ से अधिक लोग भूख से त्रस्त हैं, जिनमें से एक तिहाई लोग भारत के गरीब हैं। नवीनतम वैश्विक भूख सूचकांक में भारत का स्थान बहुत नीचे, इक्यासी देशों के बीच सड़सठवां है। इसलिए यह स्वागत-योग्य है कि भारत सरकार ने खाद्य सुरक्षा की गारंटी देने वाला विधेयक संसद में पेश किया है। इस विधेयक में ग्रामीण इलाकों की पचहत्तर फीसद और...

More »

अप्रैल में स्मार्ट कार्ड से मिलेगी सामाजिक सुरक्षा पेंशन

शिमला. प्रदेश में पहली अप्रैल से 2,67,2८2 लोगों को बैंक के माध्यम से सामाजिक सुरक्षा पेंशन मिलेगी। इसके लिए सभी पात्र लोगों को बायोमीट्रिक स्मार्ट कार्ड उपलब्ध करवाए जाएंगे। वर्तमान में यह सुविधा केवल ऊना जिले में उपलब्ध है, जहां स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) के माध्यम से सामाजिक सुरक्षा पेंशन की अदायगी हो रही है। पीएनबी-यूको बैंक देंगे सेवा प्रदेश में अब तक ऊना जिले में एसबीआई के माध्यम से सामाजिक...

More »

पीड़ा के जंगल में आदिवासी- अनिल चमड़िया

जनसत्ता 24 दिसंबर, 2011 : आजादी के बाद आदिवासी ने क्या हासिल किया, इस विषय पर राजस्थान के बूंदी में दो दिन की चर्चा थी। इस अवसर पर किसी वक्ता ने यह नहीं कहा कि अंग्रेजों के जाने के बाद आदिवासियों की जीवन-दशा में किसी किस्म का बुनियादी बदलाव आया है। फिर आदिवासियों की उम्मीद और इस व्यवस्था के प्रति भरोसे को लेकर एक प्रस्ताव पारित किया गया। प्रस्ताव में...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close