देश या झारखंड पुराने-संघर्षशील शिबू सोरेन को या तो जानता नहीं है या भूल गया है. उसे पता नहीं है कि कैसे पुराने शिबू सोरेन ने महाजनी प्रथा, सूदखोरों, हड़िया-दारू के खिलाफ और झारखंड अलग राज्य के लिए पारसनाथ की पहाड़ियों व जंगलों में रह कर वर्षों आंदोलन चलाया. जो न तो खुद शराब पीता है और न ही मांस-मछली खाता है. जिस शराबबंदी के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश...
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समाज सेवा के नाम पर-- मोनिका शर्मा
हाल ही में केंद्र सरकार ने देश में चल रहे तैंतीस हजार गैर-सरकारी संगठनों में से करीब बीस हजार संगठनों के लाइसेंस रद््द कर दिए हैं। सरकार ने यह कार्रवाई तब की, जब पाया गया कि ये एनजीओ विदेशी चंदा नियमन कानून (एफसीआरए) के विभिन्न प्रावधानों का उल्लंघन कर रहे हैं। यानीजिन एनजीओ का एफसीआरए लाइसेंस रद््द किया गया है, वे अब विदेशी चंदा नहीं ले सकेंगे। इस कार्रवाई के...
More »न्यायपालिका में आरक्षण-- डा. शैबाल गुप्ता
सफल पेशेवर होने के लिए मेधा तथा ज्ञान के मेल की जरूरत होती है. मगर चिकित्सा, पुलिस और खासकर न्यायपालिका जैसे पेशों हेतु ‘सामाजिक संवेदनशीलता' नामक एक अतिरिक्त अर्हता आवश्यक है. संवेदनशीलता वस्तुतः एक ‘सामाजिक धारणा' है, जिसे कोई व्यक्ति सामाजिक संरचना में उस वर्ग तथा जाति की स्थिति के आधार पर हासिल करता है, जिसके साथ वह रहता आया है. न्यायिक फैसले लेने में इसकी इतनी जरूरत है कि...
More »धर्म और जाति पर न हो वोट--- विश्वनाथ सचदेव
‘अभी रुग्ण है तेरे-मेरे जीने का विश्वास रे', इस पंक्ति में कवि ने जीने के विश्वास को परिभाषित करते हुए उन जनतांत्रिक मूल्यों-सिद्धांतों का हवाला दिया था, जिनके आधार पर हमने स्वतंत्रता पाने के बाद एक पंथ-निरपेक्ष, समतावादी राष्ट्र-समाज के निर्माण का संकल्प लिया था. यह त्रासदी ही है कि वैसा समाज, वैसी व्यवस्था आज भी एक सपना ही है. आज भी हमारा देश धर्मों, जातियों, वर्गों में बंटा हुआ...
More »SC करेगा फैसला, गंभीर आपराधिक मामलों के आरोपी चुनाव लड़ेंगे या नहीं!
गंभीर आपराधिक मामलों में आरोपी लोगों को चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित करने से संबंधित दायर की गई एक पिटीशन पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है। कोर्ट ने 5 जजों की स्पेशल बेंच बनाई है जो अब इस मामले में आगे की सुनवाई करेगी। माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने भी इस याचिका को गंभीरता से लिया है और 5 राज्यों में इलेक्शन को देखते...
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