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अनुसूचित जातियों के ख़िलाफ़ 32 व जनजातियों के ख़िलाफ़ 55 फीसदी अपराध बढ़े: गुजरात सरकार

गुजरात विधानसभा में पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में सरकार की ओर से बताया गया है कि साल 2013 और 2017 के बीच अनुसूचित जातियों के ख़िलाफ़ अपराधों में 32 प्रतिशत की वृद्धि हुई. वहीं अनुसूचित जनजातियों के ख़िलाफ़ अपराधों में 55 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. इस संबंध में कांग्रेस विधायक ने सितंबर 2018 में सवाल पूछा था जिसके जवाब में गुजरात सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री...

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तेरह प्वॉइंट रोस्टर का मुद्दा -- अनुज लुगुन

बातचीत के दौरान 13 प्वॉइंट रोस्टर पर कुछ विद्यार्थी यह चिंता जाहिर कर रहे थे कि यदि नियुक्तियों में इसी तरह के रोस्टर लागू होंगे, तो हमारे पढ़ने-लिखने का कोई मतलब नहीं रह जायेगा. यह व्यवस्था तो प्राचीन मनुवादी सामाजिक व्यवस्था की सूचक है, जिसमें वंचित समुदायों के समान अवसरों का निषेध किया जाता रहा है. तेरह प्वॉइंट रोस्टर को लेकर उनकी यह चिंता वाजिब है. उनकी इस चिंता...

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देश के उच्च जाति के हिंदू सबसे अमीर, कुल संपत्ति के 41% के मालिक: रिपोर्ट

नई दिल्ली: भारत में जाति अब भी व्यक्ति के जीवन में अहम किरदार निभा रही है और शिक्षा, व्यवसाय, आय और संपत्ति जैसे महत्वपूर्ण पहलू जाति के आधार पर निर्धारित हो रहे हैं. देश में हिंदू समुदाय की उच्च जातियों के 22.3 प्रतिशत लोगों के पास देश की कुल संपत्ति का 41 प्रतिशत है और यही लोग सबसे धनाढ्य समूह बनाते हैं. वहीं देश की संपत्ति का केवल 3.7 प्रतिशत हिस्सा...

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कैसे सालभर में तीन फैसलों ने एससी, एसटी और ओबीसी समुदायों का विश्वास डिगा दिया

भारतीय सुप्रीम कोर्ट को एक ऐसे संस्थान के रूप में जाना जाता है जो कि ‘वीरतापूर्वक' नागरिक स्वतंत्रता की हिमायत करता है और एक उत्पीड़क सामाजिक ढांचे के विरुद्ध हाशिये पर पड़े सामाजिक वर्गों के रक्षक की भूमिका निभाता है. पिछले डेढ़ वर्षों की अवधि में इसने लोगों की निजता के अधिकार को मान्यता दी, एलजीबीटी समुदाय के अधिकारों को स्वीकार किया और सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की...

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एससी/एसटी संशोधन कानून पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, अगली सुनवाई 19 फरवरी को

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचारों की रोकथाम) संशोधन अधिनियम, 2018 पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. इस मामले की अगली सुनवाई अब 19 फरवरी को होगी. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने शीर्ष अदालत के मार्च के फैसले को निष्प्रभावी बनाने और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचारों की रोकथाम) कानून की पहले की स्थिति बहाल करने के...

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