-इंडिया टूडे, मुंबई में दो साल तक काम करने के बाद, सितंबर 2019 में कीर्ति की मेहनत कामयाब हुई, जब उसे लंदन की मर्चेंट बैंकिंग फर्म में नौकरी मिल गई. वह लंदन को समझ पाती इससे पहले कोविड आ गया. नौकरी खतरे में थी. लेकिन अप्रैल में ही उसकी कंपनी सरकार की जॉब रिटेंशन स्कीम (नौकरी बचाओ सब्सिडी) में शामिल हो गई. पगार कुछ कटी लेकिन नौकरी बच गई. बहुत नुक्सान...
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2020 में हम भारतीयों को 1920 के इटली को जानने की जरूरत क्यों है?
-सत्याग्रह, मैं जीवनियां खूब पढ़ता हूं. इनमें बहुत सी विदेशी हस्तियों की होती हैं जो उनके देश, काल और परिस्थितियों के बारे में बताती हैं. हाल ही में मैंने कनाडाई विद्वान फाबियो फर्नांडो रिजी की किताब ‘बेनेडेट्टो क्रोसे एंड इटैलियन फासिज्म’ खत्म की है. इस किताब में एक महान दार्शनिक की जीवनी के सहारे उस दौर की एक बड़ी सच्चाई बताई गई है. रिजी की किताब पढ़ने के बाद मुझे 1920 के...
More »ग्लोबल वार्मिंग के कारण कनाडा की अंतिम साबुत बची हिमचट्टान टूटी
-इंडिया वाटर पोर्टल, दुनिया भर में ग्लोबल वार्मिंग का असर अब तेजी से बढ़ने लगा है। उत्तरी अमेरिका के देश ‘कनाडा’ में साबुत बची अंतिम हिमचट्टान का अधिकांश हिस्सा टूटकर विशाल हिमशैल द्वीपों में बिखर गया। ये लगभग 4 हजार साल पुरानी हिमचट्टान थी, जो एलेसमेरे द्वीप के उत्तर पश्चिम पर मौजूद थी। ये आकार में कोलंबिया जिले से बड़ी, यानि लगभग 187 वर्ग किलोमीटर में फैली हुई थी, लेकिन 43...
More »पश्चिमी दुनिया पर तारी पुतिन का प्रेत
-न्यूजलॉन्ड्री, कुछ दिन पहले एक लेख में रूसी विद्वान प्रोफ़ेसर सर्गेई कारागानोव ने कहा है कि पश्चिम के लोकतांत्रिक देशों को यह पता नहीं है कि बिना शत्रु के कैसे रहा जा सकता है. इस बात को समकालीन संदर्भ में समझने के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के विरुद्ध पश्चिम के रवैये को देखा जाना चाहिए. ब्रिटेन के विदेश मंत्री डॉमिनिक राब ने कहा है कि रूस ने पिछले साल के ब्रिटिश...
More »टूटी हुई खाद्य प्रणाली और किसानों के लिए फ्री मार्केट का औचित्य?
-गांव कनेक्शन, "1980 के दशक में किसान प्रत्येक डॉलर में से 37 सेंट घर ले जाते थे। वहीं आज उन्हें हर डॉलर पर 15 सेंट से कम मिलते हैं," यह बात ओपन मार्केट इंस्टीट्यूट के निदेशक ऑस्टिन फ्रेरिक ने कंजर्वेटिव अमेरिकन में लिखी है। उन्होंने इस तथ्य के जरिये इशारा किया कि पिछले कुछ दशक में किसानों की आमदनी घटने की प्रमुख वजह चुनिंदा बहुराष्ट्रीय कंपनियों की बढ़ती आर्थिक ताकत है।...
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