जनचौक, 3 अक्टूबर गांधी जयंती के अवसर में छत्तीसगढ़ के समस्त आदिवासी इलाके की ग्राम सभाओं का एक महासम्मेलन गोंडवाना भवन में आयोजित किया गया जिसमें विभिन्न ग्राम सभाओं के 5000 से अधिक आदिवासी प्रतिनिधि हिस्सा लिए। इस मौके पर सूबे के अलग-अलग हिस्सों से आए सिलगेर से रघु,कोयलीबेड़ा से सहदेव उसेंडी, दुर्गुकोंदल से जगत दुग्गा, अंतागढ़ से संत लाल दुग्गा, सिहावा से लोकेश्वरी नेताम, मीरा संघमित्रा,मानपुर से सरजु टेकाम, बीजापुर से...
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बंगाल सरकार की ‘दुआरे राशन योजना’ क़ानूनी रूप से वैध नहीं: कलकत्ता हाईकोर्ट
द वायर, 28 सितम्बर कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बुधवार को पश्चिम बंगाल सरकार की ‘दुआरे राशन योजना’ को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए)-2013 का उल्लंघन करार देते हुए कहा कि यह योजना कानून की नजरों में मान्य नहीं है. उच्च न्यायालय ने यह फैसला उचित मूल्य के दुकानदारों द्वारा दाखिल याचिका पर सुनाया, जिन्होंने उसकी एकल पीठ के निर्णय को चुनौती दी थी. उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने अपने फैसले में...
More »मिल्क बॉयकाट, धरना- कैसे मालधारियों के आगे गुजरात सरकार को ‘काले’ मवेशी कानून मामले में झुकना पड़ा
दिप्रिंट, 27 सितम्बर गुजरात में काफी शक्तिशाली माने जाने वाले मालधारी समुदाय को भूपेंद्र पटेल सरकार को विवादास्पद आवारा पशु नियंत्रण विधेयक, या उनके शब्दों में एक काले बिल की वापसी के लिए बाध्य करने में छह महीने लग गए. और इस मामले में दबाव बनाने की पुरानी रणनीतियां ही उनके काम आईं, जिसमें मिल्क बॉयकाट, राजनीतिक स्तर पर चेताना, सड़कों पर विरोध प्रदर्शन और व्हाट्सएप और टेलीग्राम ग्रुप्स जैसे सोशल...
More »चुनाव आयोग का प्रस्ताव- 2,000 से ज्यादा नहीं होगा गुमनाम राजनीतिक चंदा
क्विंट हिन्दी, 20 सितम्बर चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे में सुधार और पारदर्शिता के मकसद से गुमनाम राजनीतिक चंदे को 20,000 रुपये से घटाकर 2,000 रुपये करने का प्रस्ताव भेजा है। सूत्रों ने बताया कि चुनाव आयोग ने केंद्रीय कानून मंत्रालय को पत्र लिखकर जनप्रतिनिधित्व कानून में विभिन्न संशोधनों की सिफारिश की थी। हाल ही में, आयोग ने 284 गैर-अनुपालन पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (आरयूपीपी) को हटा...
More »वेदांता ने गोवा में अपने लौह निर्माण प्लांट चलाने के लिए पर्यावरण क़ानूनों को ताक़ पर रख दिया है
द वायर, 12 सितम्बर भारत में पर्यावरण की रक्षा के लिए दर्जनों नियम और कानून हैं, साथ ही एक पर्यावरण मंत्रालय, केंद्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और पर्यावरण मामलों के लिए एक विशेष अदालत, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल भी हैं. फिर भी एक अरब डॉलर की कंपनी को एक दशक तक प्रदूषण को नियंत्रित करने में विफल रहने और गलत रिपोर्ट देने के बावजूद उसके लौह निर्माण के काम का विस्तार...
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