माधोसिंह भंडारी ने कभी नहीं सोचा था कि वह जिस गांव में पानी लाने के लिए अपना जीवन लगा देगा और अपने पुत्र की बलि भी दे देगा, सरकार उसी गांव को प्रदूषण की बलि चढ़ा देगी। सोलहवीं शताब्दी में उत्तराखंड के गांव मलेथा में माधोसिंह भंडारी ने एक ऐसा इतिहास रचा, जो हर सदी में याद किया जाएगा। यह गांव कुछ भी पैदा करने में असमर्थ था, क्योंकि यहां...
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संताल में अब गांव-गांव तक गंगाजल
देवघर: संताल परगना के छह जिलों के अलावा गिरिडीह व कोडरमा के गांव-गांव तक गंगा का पानी आयेगा. इस क्षेत्र से पेयजल की समस्या तो दूर होगी ही, किसानों को सिंचाई की सुविधा भी मिलेगी. सोमवार को दिल्ली में केंद्र व झारखंड के जल संसाधन विभाग तथा पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की बैठक में 14 हजार करोड़ की इस योजना का अनुमोदन किया गया. यह जानकारी गोड्डा सांसद निशिकांत दूबे...
More »धान की खेती के मोह को कम करें किसान- डा अब्दुल वदूद
किसानों को हर साल खेती में भारी क्षति का सामना करना पड़ता है. समय पर बारिश नहीं होने से किसानों की मेहनत तो बेकार हो ही जाती है साथ ही खेतों में डाले गये बीज तथा खाद भी बरबाद हो जाते हैं. किसानों को अब यह सलाह दी जाती है कि वे वैकल्पिक खेती की ओर ध्यान दें. इसी सिलसिले में पंचायतनामा संवाददाता ने बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में मौसम विज्ञान...
More »मुखिया की कोशिश से बालश्रम का उन्मूलन
हजारीबाग जिले के कटकमदाग पंचायत का चयन झारखंड की 75 बाल हितैषी अगुवा पंचायत में हुआ है. उन्हें हाल ही में झारखंड पंचायत महिला रिसोर्स सेंटर की ओर से इस संबंध में पत्र मिला है. उन्हें इससे संबंधित प्रशिक्षण के लिए रांची भी बुलाया गया है. लेकिन इस पंचायत की मुखिया प्रियंका कुमारी इस योजना के तहत अपनी पंचायत का चयन किये जाने के पहले से ही बच्चों के लिए...
More »पहाड़ को इस तरह भी देखिए- रामचंद्र गुहा
चार युवाओं ने 25 मई, 1974 को हिमालय पर एक लंबी पदयात्रा की शुरुआत की। ये चारों उस लोकप्रिय उत्तराखंड आंदोलन के कार्यकर्ता थे, जिसका उद्देश्य उत्तर प्रदेश के पर्वतीय जिलों को मिलाकर एक पृथक राज्य की स्थापना करना था। ये लंबे समय से उपेक्षित रहे जिले थे, जिनका सस्ते श्रम और प्राकृतिक संसाधनों को लेकर दोहन तो भरपूर हुआ, मगर बदले में अपेक्षित सम्मान के लिए ये हमेशा तरसते रहे।...
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