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ग्रामीण क्षेत्रों में भी हो बैंकों का विस्तार

नई दिल्ली। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने किसानों, खेतिहर मजदूरों और छोटा मोटा कारोबार करने वाले उद्यमियों तक बैंकिंग सेवाएं पहुंचाने के लिए बैंकों से छोटे शहरों और विशेषकर ग्रामीण इलाकों में बैंक शाखाओं का विस्तार करने पर जोर दिया है। मुखर्जी ने कहा है कि दूरदराज ग्रामीण इलाकों में सभी तक वित्तीय सेवाएं पहुंचाने के लिए बैंकों को नवीन प्रौद्योगिकी और सूचना प्रौद्योगिकी [आईटी] का इस्तेमाल करना होगा। उन्होंने कहा कि...

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गांवों तक पहुंचेगा चलता-फिरता बैंक

कोटा. यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए मोबाइल बैंकिंग (नैनो बैंकिंग) शुरू करने की तैयारी कर ली है। यानी बैंक इस चलते-फिरते नैनो बैंक के जरिए ऐसे गांवों में बैंकिंग सुविधाएं पहुंचाएगा, जहां पर बैंक नहीं हैं। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने वर्ष 2012 तक हर दो हजार की आबादी पर ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सुविधाएं पहुंचाने के लिए सभी बैंकों को निर्देश दिए...

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भ्रष्टाचार में अगाड़ी, पंच परमेश्वर व पटवारी

शिमला। परमेश्वर कहे जाने वाले पंच (प्रधान) और आपकी जमीन का लेखा-जोखा रखने वाले पटवारी भ्रष्टाचार में सबसे आगे हैं। यह खुलासा विजिलेंस विभाग को मिलने वाली शिकायतों के आधार पर हुआ है। विभाग के अनुसार भ्रष्टाचार के संदर्भ में प्रदेश भर से लोगों से मिलने वाली शिकायतों में 50 प्रतिशत शिकायतें पंचायती राज विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ होती हैं। स्टेट विजिलेंस एंड एंटी करप्शन ब्यूरो के...

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नरेगा और सोशल ऑडिट

खास बात • मनरेगा में वित्तवर्ष 2015-16 में 235.6 करोड़ व्यक्ति-दिवसों के बराबर रोजगार का सृजन हुआ है. यह पिछले पांच सालों में अधिकतम है.   • वित्तवर्ष 2015-16 में कुल 5.35 करोड़ परिवारों ने मनरेगा के तहत रोजगार की मांग की लेकिन केवल 4.82 करोड़ परिवारों को ही रोजगार दिया जा सका यानी 9.9 फीसद परिवारों को मांग के बावजूद रोजगार नहीं हासिल हुआ.   • वित्तवर्ष 2015-16 में मनरेगा में प्रति परिवार औसतन 49 व्यक्ति दिवसों के बराबर...

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न्याय:कितना दूर-कितना पास

  खास बात  • साल २००९ के अप्रैल महीने तक सर्वोच्च न्यायालय में लंबित मुकदमों की संख्या ५०१४८ थी। केसों के निपटारे की गति बढ़ी है मगर शिकायतों के आने की गति और जजों की संख्या केसों के आने की गति की तुलना में अपर्याप्त साबित हो रही है।*  • दो साल पहले यानी साल २००७ के जनवरी महीने में सुप्रीम कोर्ट में लंबित केसों की संख्या ३९७८० थी। सुप्रीम कोर्ट लंबित केसों के निपटारे में तेजी लाने असहाय महसूस...

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