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62 लाख मुआवजा खा गये बिचौलिये

जमीन अधिग्रहण के बदले सरकार जाे मुआवजा देती है, वह रैयताें तक नहीं पहुंच पाता. बिचाैलिये खा जाते हैं. पूरा रैकेट है. अफसराें-दलालाें की सांठगांठ ने गरीब आदिवासियाें काे सड़क पर ला दिया है. ऐसे ताे यह पूरे राज्य में हाे रहा है, लेकिन धनबाद में सबसे ज्यादा. धनबाद से सटा दुहाटांड़ गांव में सरकार ने रिंग राेड के लिए आदिवासियाें की 269़ 5 डिसमिल जमीन अधिग्रहीत की. कुल 4.46...

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सत्ता की चमक में शिक्षकों ने स्‍कूल छोड़ थामा मंत्री-विधायकों का दामन

अम्बुज माहेश्वरी, रायसेन(मध्‍यप्रदेश)। प्रदेश के कई शिक्षकों ने लंबे अरसे से मंत्री-सांसद और विधायकों का दामन थाम लिया है। इन शिक्षकों की अपने मूल शैक्षणिक कार्य के बजाए माननीयों की चाकरी में रुचि है। खासबात तो यह है कि मंत्री, सांसद और विधायक भी अपने निजी स्टाफ में ज्यादातर शिक्षकों को तरजीह देते हैं। शिक्षकों के स्कूल छोड़ने से पढ़ाई प्रभावित हो रही है। कई स्कूल शिक्षकविहीन हैं और पूरा...

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सीएम ने दी थी तारीख इस‍लिए बंद डायलिसिस मशीनों का ही कर दिया लोकार्पण

प्रदेश के सभी जिला अस्पतालों में डायलिसिस मशीन तय तारीख (26 जनवरी) पर शुरू नहीं हो पाई। कुछ जिलों में मशीन इंस्टॉल करने के लिए कंपनी की ओर से इंजीनियर नहीं पहुंचे तो कुछ जगह अस्पताल प्रबंधन ही मशीन शुरू कराने के लिए जरूरी इंतजाम नहीं कर पाया। ऐसे में जनप्रतिनिधियों ने 26 जनवरी को बंद मशीनों का ही लोकार्पण कर दिया। खासबात यह है कि सभी अस्पतालों को मशीनें...

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कानूनों पर ठीक से अमल हो तो बदलना ही क्यों पड़े? - संतोष कुमार

जिस जल्दबाजी के साथ हम कानूनों में संशोधन कर लेते हैं, उससे साफ होता है कि हम अपने कानूनों को बहुत गंभीरता से नहीं लेते। 2013 और 2015 में क्रिमिनल लॉ या जुवेनाइल जस्टिस कानून में किया गया गया बदलाव इसी बात को साबित करता है। 2013 में बदलाव तब हुआ, जब निर्भया के साथ ज्यादती हुई और 2015 में तब जबकि उसके साथ बर्बरता से पेश आने वाला किशोर...

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लोकतंत्र की जड़ में राजनीति का मट्ठा - सुभाष कश्‍यप

अब जाकर उम्मीद जगी है कि आज से तीन दिन संसद के शीतकालीन सत्र में थोड़ा-बहुत विधायी कामकाज हो सकेगा। लेकिन क्या पहले ही बहुत देर नहीं हो चुकी है? पहले समूचे मानसूत्र सत्र और अब शीतकालीन सत्र के एक बड़े हिस्से के दौरान लोकतंत्र का मंदिर कही जाने वाली संसद में जो कुछ देखने को मिला है, वह बेहद दु:खद और अप्रत्याशित रहा है। संसद के दोनों ही सदनों...

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