भोपाल. प्रदेश में देशी-विदेशी पक्षियों और अन्य जलचरों के रहवास (प्राकृतिक जलाशय) कम हो रहे हैं। पिछले एक दशक में इन जलाशयों की संख्या 1883 से घटकर 1256 रह गई है। देवास, धार और झाबुआ जिलों में स्थिति सबसे खराब है। घटते जलाशयों की वजह से प्रवासी पक्षियों ने भी प्रदेश की ओर रुख करना छोड़ दिया है। कोयंबटूर स्थित ‘सालिम अली सेंटर फॉर ऑरनिथोलॉजी एंड नेचुरल हिस्ट्री’ (सेकान) द्वारा जारी किए...
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किसानों ने खुद बदली अपनी किस्मत
भोपाल. योजनाएं चलाने में उनका इस्तेमाल करने वालों की भूमिका समाज को कैसे खुशहाल बना देती है,इसका उदाहरण हैं मान और जोबट सिंचाई परियोजनाएं। धार-झाबुआ जिले की इन दो परियोजनाओं के कमांड क्षेत्र में आने वाले किसानों की समझदारी और भागीदारी से 71 गांवों की तकदीर बदल गई है।इसके चलते इन गांवों में पक्के मकानों की तादाद में 14 फीसदी, बाइक संख्या में 16 और बैंक खातों में 35 प्रतिशत इजाफा हुआ है। वहीं...
More »महिला सरपंचों ने कहा फैसलों में हमारी राय नहीं लेती पंचायत
इस समय देश में पंचायतों के माध्यम से करीब 13 लाख से अधिक महिलाएं सत्ता में भागीदारी हैं। वे समाज को अपने सपनों के अनुसार बदलने के प्रयासों में जुटी हुई हैं। यह बात 'द हंगर प्रोजेक्ट' की कंट्री डायरेक्टर रीता सरीन ने मंगलवार को आईकफ आश्रम में आयोजित प्रांत स्तरीय सम्मेलन में कही। सम्मेलन में 11 जिलों से 300 से अधिक महिला जनप्रतिनिधि शामिल हुई, जिसमें करीब 100 सरपंच और...
More »गरीबी : अध्ययन रिपोर्ट पर करोड़ों खर्च नतीजा सिफर
भोपाल. प्रदेश में आदिवासियों की गरीबी दूर करने के उपाय सुझाने के लिए विदेशी सहायता से चल रहे एक प्रोजेक्ट में सिर्फ अध्ययन रिपोर्ट तैयार करने के नाम पर एक करोड़ रुपए खर्च करने के बाद भी नतीजा सिफर है। छह साल में सौ से ज्यादा रिपोर्ट बनाने वाले प्रोजेक्ट के कर्ताधर्ताओं के पास भी इस सवाल का सीधा जवाब नहीं है कि आखिर उनकी इस मेहनत से कितने लोगों की गरीबी...
More »जान बचाने के लिए सिर्फ 4 घंटे
कोटा. शहर में बाढ़ आ जाए अथवा बैराज से अधिक मात्रा में पानी छोड़ना पड़े तो चंबल की डाउन स्ट्रीम में बने 15 हजार मकानों में बसे करीब 75 हजार लोगों के सामने संकट आ जाएगा। जब यह मकान बने तब किसी ने आपत्ति नहीं जताई लेकिन, 4 साल पहले बनी जल प्लावन की स्थिति के बाद प्रशासन सचेत हुआ, लेकिन अभी तक यह चेतना केवल सर्वे करवाने तक ही...
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