आप सभी से एक सवाल है, अगर आपने कभी किसी से 5,000-10,000 रुपए का कर्ज लिया है तो उसे चुकाने में आपको कितना वक़्त लगता है? इस सवाल का जबाब आपकी आमदनी के अनुसार अलग-अलग हो सकता है। लेकिन बिहार के गया जिले के फेंकू के लिए इस कर्ज का दर्द 30 साल का है। फेंकू माझी (46 वर्ष) को ठीक से याद नहीं है कि उनके परिवार ने ठेकेदार से 30...
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देश में नया श्रम कानून लागू, मगर मजदूरों के हाथ खाली
"नये श्रम कानून में सरकार अगर देश में मजदूरों की 178 रुपए कम से कम मजदूरी तय कर रही है, तो सीमेंट की बोरी ढोने वाले हम जैसे मजदूरों को दिन भर काम के बाद 250 रुपए मजदूरी मिलती है, अब आप बताइये इतनी महंगाई में 250 रुपए दिहाड़ी पर घर चलता है क्या?, तो 178 रुपए पर क्या कहेंगे," यह कहना है मजदूर दल्ला मीना का, जो राजस्थान के...
More »सफाईकर्मियों की मौत पर दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा- लोग मर रहे हैं, किसी को तो जेल जाना पड़ेगा
नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली जल बोर्ड, नई दिल्ली नगर निगम और दिल्ली नगर निगम समेत 10 नगर निकायों को आदेश दिया है कि वे हलफनामा दायर कर बताएं कि वे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मैनुअल स्कैवेंजर्स (मैला ढोने वाले लोग) को नौकरी पर रखते हैं या नहीं. लाइव लॉ के मुताबिक, कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर लोग लगातार मर रहे हैं, तो किसी को तो...
More »तीस लाख मतदाता चाहें भी तो इस चुनाव में मतदान नहीं कर सकते- आखिर क्यों, पढ़िए इस एलर्ट में !
‘वोट इंडिया वोट' के नारे के साथ एक सरकारी वेबसाइट पर लिखा है- ‘ मतदान प्रक्रिया में भाग लें, मतदाता होने पर गर्व महसूस करें.' लेकिन क्या कभी आपने सोचा कि भारत की एक बड़ी कामगार आबादी चाहे तो भी वोट नहीं कर सकती ? ऐसे कामगारों में एक नाम आता है ईंट भट्ठे के मजदूरों का ! इस बार ईंट भट्ठे पर काम करने वाले तकरीबन 30 लाख मजदूर अपने...
More »अनसुनी रह जाती है जिनकी आवाज-- बद्रीनारायण
जनतंत्र में कुछ आवाजें हैं, जो ज्यादा सुनाई देती हैं। महानगर और शहर के बड़े तबके की आवाज तो जनतांत्रिक विमर्श में सुनी ही जाती है, कस्बों, राजमार्गों और मुख्य सड़कों के किनारे के गांवों की आवाज भी कई बार इसमें दर्ज हो जाती है। लेकिन जो अंतरे-कोने में पडे़ हैं, जो नदियों के किनारे के गांव हैं, जो दियारे में बसे गांव हैं, जो पहाड़ों की तलहटियों में और...
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