यूरोप का पहला देश है स्वीडन, जहां सन् 1661 में पहली बार बैंक नोट जारी किया गया था. उसी स्वीडन ने 2030 तक संपूर्ण रूप से करेंसी नोट मुक्त करने का संकल्प किया है. स्टाॅकहोम रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर निकलस अरविंदसन ने 2013 में एक अध्ययन के जरिये अनुमान लगाया था कि स्वीडन 2030 तक ‘मुद्रामुक्त समाज‘ घोषित हो जायेगा. अरसे से स्वीडन की बसों, मेट्रो में कैश...
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मौन जुलूसों के नीचे धधकती आग-- प्रमोद मीणा
किसी के कंधे पर बंदूक रख कर निशाना लगाना क्या होता है, इसकी जीवंत बानगी मराठा आंदोलन है। लाखों की संख्या में मराठा महाराष्ट्र की सड़कों पर मौन जलूस निकाल रहे हैं। इसका तात्कालिक कारण बताया जा रहा है अहमदनगर जिले में एक चौदह वर्षीय मराठा लड़की का बलात्कार और हत्या। इस मामले में अभी तक पकड़े गए तीनों आरोपी दलित हैं। कू्ररता की शिकार इस बालिका को न्याय दिलाने...
More »नाभि बची, सिर भी सलामत-- अनिल रघुराज
रामलीला खत्म होने को है, लेकिन रावणलीला जारी है. सदियों से हम बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाते आ रहे हैं. लेकिन, हर दशहरे पर पुतला जलने के बावजूद रावण अट्टहास करता रहता है. यहां दो बातें गौरतलब हैं. एक, रावण सत्ताजनित अहंकार का प्रतीक है. परम ज्ञानी, परम शक्तिशाली, परम धनवान. लेकिन अहंकार ने उसे कहीं का नहीं छोड़ा. दो, नाभि पर चोट न की जाये, तो...
More »सात दशक के बाद-- रघु ठाकुर
स्वतंत्रता और स्वाधीनता का क्या अर्थ है? स्वतंत्रता एक व्यवस्थागत आजादी का बोध कराती है। मसलन, स्वतंत्र यानी हमारे देश का अपना प्रशासन, अपनी शासन-प्रशासन प्रणाली। पर स्वाधीनता उससे कुछ ज्यादा व्यापक अर्थ देती है, जिसमें किसी भी प्रकार की अधीनता न हो। एक देश के रूप में हम अपने ही अधीन हों- एक नागरिक के रूप में, हम अपनी अंतरात्मा के अधीन हैं। अब प्रश्न यह है कि आज...
More »विस्थापितों के हक पर अफसरशाही की डकैती, न मुआवजा मिला न नौकरी
दामोदर घाटी परियोजना के विस्थापितों को साठ साल बाद भी न उनकी जमीन और घरों का मुआवजा मिल पाया है और न पुनर्वास के नाते नौकरी। पश्चिम बंगाल और झारखंड के चार जिलों के इन विस्थापितों में ज्यादातर आदिवासी हैं। कुल 240 गांवों की 38 हजार एकड़ जमीन और पांच हजार घर केंद्र सरकार की इस बिजली परियोजना ने 1954 में लील लिए थे। पर विस्थापितों को अंतहीन संघर्ष के...
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