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कोविड-19 : क्या टीकाकरण पूर्व स्क्रीनिंग कोमोरबिडिटी या अन्य बीमारी का पता लगाने के लिए पर्याप्त है?

-कारवां, उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के पंडित दीनदयाल उपाध्याय जिला अस्पताल में 52 वर्षीय वार्ड परिचारक महिपाल सिंह का 17 जनवरी को निधन हो गया. भारत के टीकाकरण अभियान के पहले दिन सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित कोविड-19 वैक्सीन कोविशील्ड का इंजेक्शन लगाने के एक दिन बाद उनकी मृत्यु हो गई. इंजेक्शन लगने के कुछ समय बाद महिपाल ने अपने बेटे विशाल को अस्पताल से घर ले चलने को कहा था....

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‘उन सबको मार दिया गया है’– कोविड के बाद पोल्ट्री किसानों के लिए एक और विपदा लाया बर्ड फ्लू

-द प्रिंट, सुधीर कुमार को पोल्ट्री फार्म व्यवसाय में सिर्फ ढाई साल हुए हैं, लेकिन उन्हें ऐसा लगता है, जैसे सारी ज़िंदगी इसी में गुज़र गई है. बीते साल में, महामारी और उसके बाद लॉकडाउन्स ने, उनके कारोबार को अकल्पनीय नुक़सान पहुंचाया है. फार्म की कुल 50,000 मुर्ग़ियों में से आधी को, उन्हें खुद से मार देना पड़ा. कुमार ने दिप्रिंट को बताया, ‘हमने ज़मीन खोदी और उन्हें ज़बर्दस्ती दफ्न कर दिया....

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कोविशील्ड के परीक्षण के दौरान स्वयंसेवकों में उपजी बीमारी से भारतीय नियमन पर उठते सवाल

-द कारवां, अक्टूबर 2020 में चेन्नई में एक 40 वर्षीय व्यक्ति जिन्होंने कोविशील्ड वैक्सीन के लिए नैदानिक ​​परीक्षण में भाग लिया था, अचानक बीमार पड़ गए. इस कोविड-19 वैक्सीन को सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया ने स्वीडिश-अमेरिकी कंपनी ऐस्ट्राजनेका और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के साथ मिलकर तैयार किया है. डॉक्टर ने उन्हें बताया कि उन्हें एंसेफैलोपैथी है, जो मस्तिष्क संबंधी तंत्रिका का विकार है. चार दिनों तक वह कभी होश में आते और...

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आशा, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, डॉक्टर, नर्स या फिर पुलिसकर्मी, कोविड वैक्सीन सबसे पहले किसे लगना चाहिए?

-गांव कनेक्शन, कोविड-19 के संक्रमण से दुनियाभर में अब तक 17 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इस महामारी से विश्व भर में 78.7 मिलियन लोग संक्रमित हो चुके हैं। राहत भरी खबर अभी यह है कि सरकार ऐसा दावा कर रही है कि जनवरी 2021 में कोविड वैक्सीन लगनी शुरू हो जायेगी। ऐसे में सवाल यह उठता है कि सरकार को वैक्सीन लगाने के लिए सबसे पहले...

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कब मिलेगी प्रवासी मजदूरों को सामाजिक सुरक्षा?

-न्यूजक्लिक, वैसे तो अनौपचारिक क्षेत्र में कार्यरत प्रवासी मजदूरों के कल्याण के संरक्षण को लेकर कई कानून मौजूद हैं, लेकिन वे शायद ही कभी अमल में लाये जाते हैं। एक आदिवासी प्रवासी महिला की मौत ने जो कि भिवंडी के नजदीक धान के खेतों में काम करती थी, की मौत ने प्रवासी मजदूरों की सामजिक सुरक्षा की जरूरत को एक बार फिर से रेखांकित किया है। चालीस वर्षीया चन्द्राबाई थालेकर, जिनके तीन...

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