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मच्छर जनित रोगों से उलझन भरी लड़ाई-- अरविन्द जैन

बरसात के बाद फैलने वाले डेंगू और चिकनगुनिया जैसे मच्छर जनित रोगों से देश को एक उलझन भरी लड़ाई लड़नी पड़ रही है। इन दोनों ही रोगों का इलाज उतना कठिन नहीं है, जितना कि इस पूरी समस्या से निपटना। डॉक्टर लक्षण के आधार पर इनके इलाज की सलाह देते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ( डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, डेंगू का पता लगाने का शुरुआती तरीका है एनएस-1 एंटीजन टेस्ट, जो बुखार...

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महंगाई का नया दौर--- धर्मेन्द्रपाल सिंह

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने घोषणा कर दी कि चार सितंबर के बाद वे अपना पद छोड़ देंगे। उनके एलान से विदेशी निवेशक चिंतित हैं, उद्योग जगत में निराशा है और शेयर बाजार में घबराहट। राजन का कार्यकाल न बढ़े, इसके लिए कुछ लोगों ने एड़ी-चोटी का जोर लगा रखा था। देश का केंद्रीय बैंक (आरबीआइ) ही मौद्रिक नीति निर्धारित करता है और फिर उसके माध्यम से...

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सेहत की कीमत पर विकते खाद्य-- निरंकार सिंह

पिछले दिनों मैगी विवाद ने खाने-पीने की चीजों में मिलावट के मामले को चर्चा का विषय बना दिया था। ताजा मामला डबल रोटी में खतरनाक रसायनों के मिलाने का है। बहुत सारे घरों में सुबह नाश्ते के समय खाई जाने वाली बे्रड और बेकरी के उत्पादों में कैंसर पैदा करने वाले रसायनों का इस्तेमाल हो रहा है। सेंटर फार साइंस एंड इनवार्नमेंट (सीएसई) ने बे्रड, पाव, बन, बर्गर बे्रड और...

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क्यों महंगे पड़ते हैं ये सस्ते खाद्य पदार्थ- पैट्रिक होल्डेन

कभी आपने सोचा है कि बाजार में मिलने वाले गोश्त, यानी मटन के मुकाबले चिकन यानी मुर्गा इतना सस्ता क्यों होता है? यह सस्ता चिकन लोगों के लिए सेहत बनाने का एक अच्छा विकल्प भी है। लेकिन क्या यह वास्तव में इतना सस्ता होता है? या सेहत के लिए सचमुच इतना अच्छा होता है? चिकन के बड़े पैमाने पर उत्पादन से होने वाले नुकसान के लिए किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया...

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मिलावटी दूध की बहती गंगा - भवदीप कांग

शुरुआत इसी विरोधाभासी तथ्य से करें कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है! पिछले पंद्रह वर्षों में भारत में प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता बढ़कर लगभग दोगुनी हो गई है। अब यह 322 ग्राम प्रतिदिन है। ऐसे में सवाल उठना स्वाभाविक है कि जब भारत में दूध की मांग व आपूर्ति का तंत्र अच्छी तरह विकसित हो चुका है तो हम मिलावटी दूध पीने को मजबूर क्यों हैं?...

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