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मोदी का उदय चंद कारपोरेट घरानों का विकास है : आरएलडी उपाध्यक्ष जयंत सिंह चौधरी

-कारवां, जयंत सिंह चौधरी राष्ट्रीय लोक दल के उपाध्यक्ष हैं. इस पार्टी का पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आधार है. आरएलडी का गठन 1996 में जयंत के पिता अजित ने जनता दल से अलग हो कर किया था. इसकी पूर्ववर्ती पार्टी लोक दल थी, जिसकी स्थापना 1980 में जयंत के दादा चौधरी चरण सिंह ने की थी. चरण सिंह भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और प्रसिद्ध किसान नेता रहे. अपनी स्थापना के बाद...

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कार्यकारी (और) संपादक

-द कारवां, जैसे ही यह स्पष्ट हो गया कि डोनाल्ड ट्रंप सत्ता से बाहर हो गए हैं और जो बाइडन अमेरिका के नए राष्ट्रपति होंगे, अनंत गोयनका ने एक ट्वीट किया : मैं आशा करता हूं कि बाइडन की जीत के बाद अमेरिकी समाचार मीडिया अपने पक्षपातपूर्ण तरीके के बारे में आत्मावलोकन करेगा. वह केवल अपने प्रति वफादारों और ईको-कक्ष समुदाय के पाठकों के बजाय अवश्य ही सकल आबादी के विचारों का...

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कोरोना महामारी से लड़ाई और निशाने पर सरकार विरोधी आवाज़ें

-बीबीसी, सफ़ूरा ज़रगर को भारत की राजधानी दिल्ली में जिस समय गिरफ़्तार किया गया, वो तीन महीने से अधिक की गर्भवती थीं. उन्हें विवादित नागरिता संशोधन क़ानून के विरोध में हो रहे एक प्रदर्शन में शामिल होने के कारण गिरफ़्तार किया गया था. यह 10 अप्रैल की तारीख़ थी और यह वो वक़्त था जब कोविड-19 महामारी ने भारत में अपनी जड़ें जमानी शुरू की थीं. सरकार ने अपने ख़ुद के दिशा-निर्देश में...

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सूचना की महामारी, फैक्‍ट-चेक का हैंडवॉश और सत्‍य का लॉकडाउन

-न्यूजलॉन्ड्री, कुछ दिन पहले एक पत्रकार साथी का फोन आया था. वे दिल्‍ली के एक ऐसे शख्‍स की खोज खबर लेने को उत्‍सुक थे जिसे ज्‍यादातर अखबारों और टीवी चैनलों ने 9 अप्रैल, 2020 को मृत घोषित कर दिया था. मरे हुए आदमी को खोजना फिर भी आसान होता है, लेकिन ये काम थोड़ा टेढ़ा था. मित्र के मुताबिक व‍ह व्‍यक्ति जिंदा था. कुछ अखबारों और चैनलों के मुताबिक वह मर...

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नागरिकों को ही ‘विपक्ष’ का विपक्षी बनाया जा रहा है!

-जनपथ, सरकार ने अब अपने ही नागरिक भी चुनना प्रारम्भ कर दिया है। सत्ताएँ जब अपने में से ही कुछ लोगों को पसंद नहीं करतीं और मजबूरीवश उन्हें देश की भौगोलिक सीमाओं से बाहर भी नहीं धकेल पातीं तो उन्हें अपने से भावनात्मक रूप से अलग करते हुए अपने ही नागरिकों का चुनाव करने लगती है। बीसवीं सदी के प्रसिद्ध जर्मन कवि, नाटककार और नाट्य निर्देशक बर्तोल्त ब्रेख़्त की 1953 में लिखी...

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