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एक्शनएड सर्वे: लॉकडाउन लागू होने के बाद तीन-चौथाई से अधिक श्रमिक अपनी आजीविका से हाथ धो बैठे

एक्शनएड एसोसिएशन (एएए) द्वारा मई 2020 के आखिर तक तीसरे चरण के लॉकडाउन में राष्ट्रीय स्तर पर अनौपचारिक अर्थव्यवस्था पर निर्भर श्रमिकों के बीच सर्वेक्षण (14 मई और 22 मई, 2020 के बीच) किया है, जिसमें महामारी के दौरान प्रवासी श्रमिकों सहित अनौपचारिक श्रमिकों के जीवन और आजीविका में आए बदलावों और प्रभावों, उनके द्वारा अनुभव की गई रोजी-रोटी की अनिश्चितता और उससे निपटने के लिए उनके संघर्षों को दर्ज किया...

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किस हाल में हैं असम के डिटेंशन कैंपों में बंद संदिग्ध नागरिक?

-सत्यहिंदी, पिछले साल असम के डिटेंशन कैंप उस समय चर्चा में आए थे जब 23 दिसंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दावा किया था कि भारत में कोई डिटेंशन सेंटर नहीं है। उन्होंने इसे अफ़वाह बताया था। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, ‘सिर्फ कांग्रेस और अर्बन नक्सलियों द्वारा उड़ाई गई डिटेन्शन सेन्टर वाली अफ़वाहें सरासर झूठ है, बद-इरादे वाली है, देश को तबाह करने के नापाक इरादों...

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एक समय था जब भारत की एक कहानी हुआ करती थी

-सत्याग्रह, 15 अगस्त 2007 यानी भारत की आजादी के साठ साल पूरे होने के मौके पर मैंने देश के हालात को लेकर हिंदुस्तान टाइम्स में एक लेख लिखा था. उन दिनों यह खूब कहा जा रहा था कि भारत एक उभरती हुई विश्वशक्ति है. चीन पहले ही अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपना लोहा मनवा चुका था और कहा जा रहा था कि अब हमारी बारी है. बहुत से लोगों का मानना था...

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प्रवासियों के लिए उठाए गए कदम को सुप्रीम कोर्ट को बताने में विफल रहे 28 राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश

-द प्रिंट, 28 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 45 दिन पहले शीर्ष अदालत द्वारा निर्देशित तीन मौजूदा सामाजिक सुरक्षा कानूनों के तहत प्रवासी श्रमिकों के लिए उठाए गए कदमों के विवरण सर्वोच्च न्यायालय को देने में विफल रहे हैं. यह 31 जुलाई को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) द्वारा प्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा पर दर्ज स्वतः संज्ञान मामले पर दायर एक निहितार्थ आवेदन की सुनवाई के दौरान सामने आया था. एनएचआरसी ने यह इंगित...

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वाल्मीकि, तुलसीदास और रामानंद सागर से लेकर राम तक

-न्यूजक्लिक, पांच अगस्त के दिन सरकार ने हिन्दुओं के भगवान राम के नाम पर एक मंदिर के शिलान्यास की योजना बनाई है जहाँ किसी समय बाबरी मस्जिद हुआ करती थी। इस घोषणा के फौरन बाद ही इसने दो नए विवादों को जन्म दिया है। कुछ बौद्ध समूहों ने इस बात का दावा किया है कि मस्जिद का ढांचा जहाँ पर खड़ा था, उसे मंदिर के लिए जमींदोज करते वक्त जो अवशेष...

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