हमारे आसपास ऐसी कई चीजें हैं जो दिखती नहीं हैं, लेकिन वे हानि पहुंचाती हैं. कुछ दिन पहले खबर आयी कि दुनिया के शीर्ष 20 सबसे प्रदूषित क्षेत्रों में 13 क्षेत्र भारत में हैं. यह बेहद चिंताजनक है. इन्हीं चिंताओं को ध्यान में रख कर अहमदाबाद की एक तिकड़ी ने ओइजॉम नामक स्टार्टअप बनाया है, जो एयर क्वालिटी इंडिया एप्प की मदद से सामाजिक हित की दिशा में पूरी तरह...
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संकट में वन्य जीव-- रीता सिंह
वर्ल्ड वाइल्ड फंड एवं लंदन की जूओलॉजिकल सोसायटी की हालिया रिपोर्ट चिंतित करने वाली है कि 2020 तक धरती से दो तिहाई वन्य जीव खत्म हो जाएंगे। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर में हो रही जंगलों की अंधाधुंध कटाई, बढ़ते प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के कारण पिछले चार दशकों में वन्य जीवों की संख्या में भारी कमी आई है। रिपोर्ट के मुताबिक 1970 से 2012 तक...
More »पर्यावरण विमर्श का जनपक्ष-- अनुज लुगुन
विश्व बाजार में आज दो विपरीत चीजें एक साथ चल रही हैं- हथियारों की होड़ एवं पर्यावरण विमर्श. ग्लोबलाइजेशन ने ‘ग्लोबल' होने का जो सिद्धांत दिया, उसने ग्लोबल वार्मिंग की समस्या को भी पैदा किया. क्योंकि ‘ग्लोबल' होने का आधार बाजार को बनाया गया और बाजार ने पूंजी के जिस प्रलोभन को जन्म दिया, उसने हथियारों की होड़ को पैदा किया. अगर गंभीरता से देखा जाये, तो इन दोनों का...
More »लुप्त होती तटीय सुरक्षा पंक्ति--- रमेश कुमार दुबे
इस साल अच्छी मानसूनी बारिश से जहां किसानों के चेहरे खिल उठे हैं वहीं देश के कई हिस्से बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं। इस बाढ़ की वजह अच्छी बारिश उतनी नहीं है जितनी कि विकास की अंधी दौड़ में पानी के कुदरती निकासी तंत्र को भुला दिया जाना। शहरों का विकास नदियों के बाढ़ क्षेत्रों, तालाबों व समीपवर्ती कृषि भूमि की कीमत पर हो रहा है। शहरों के...
More »भूखे बाघों से शांति की उम्मीद क्यों? - अनिल प्रकाश जोशी
आज हम 'विश्व बाघ दिवस" दिवस मना रहे हैं, जिसका मकसद जंगली बाघों के आवास के संरक्षण और विस्तार को बढ़ावा देने के साथ-साथ बाघ संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। अच्छी बात है कि बाघ-संरक्षण के प्रयासों का असर भी दिख रहा है। एक-दो माह पूर्व ही यह खबर आई थी कि पिछले पांच साल में दुनियाभर में बाघों की संख्या 3200 से बढ़कर 3980 तक पहुंच चुकी है।...
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