हम अपनी फुलवारी में सब्जी बाड़ी व रंग-बिरंगे फूल लगाते हैं। इसमें कई तरह की हरी भाजियां, फल व सब्जियां होती हैं। बच्चों को हरी ताजी भाजियां खिचड़ी में पकाकर खिलाते हैं, जिससे बच्चों को पोषण मिलता है। अब इस पहल में महिला समूह, पालक और किसान जुड़ गए हैं। यह परमेश्वरी व शिवकुमारी थीं, जो बिलासपुर जिले के करहीकछार गांव में फुलवारी कार्यकर्ता हैं। फुलवारी एक तरह का झूलाघर है,...
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झज्जर, हरियाणा में रहने वाले जगपाल सिंह फोगाट और उनकी पत्नी, मुकेश देवी मधुमक्खी पालन और शहद की प्रोसेसिंग कर ‘नेचर फ्रेश’ के नाम से ग्राहकों तक पहुँचाते हैं।
-द बेटर इंडिया, लोगों को आज सामान्य खेती में कोई खास भविष्य नजर नहीं आ रहा है। इसलिए, बहुत से किसान परिवार खेती छोड़कर दूसरे रोजगार तलाश रहे हैं। लेकिन वहीं कुछ ऐसे किसान भी हैं, जिन्होंने खेती से जुड़े दूसरे विकल्पों में सफलता तलाशी है। इनका मानना है कि जब देश के बाकी क्षेत्रों में लगातार बदलाव हो रहे हैं तो कृषि क्षेत्र क्यों पीछे रहे? कृषि को भी आधुनिक...
More »सौ दिन छूते किसान आंदोलन के बीच तीन कृषि कानूनों को फिर से समझने की एक कोशिश
-जनपथ, OPEN SPACE सौ दिन छूते किसान आंदोलन के बीच तीन कृषि कानूनों को फिर से समझने की एक कोशिश March 3, 2021 - by चौधरी सवित मलिक - Leave a Comment तीन महीने हो चुके हैं दिल्ली के चारों तरफ किसान अपनी मांगों को लेकर शांतिपूर्वक धरना प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन सरकार अपनी हठधर्मिता के चलते किसानों की बात सुनने को तैयार नहीं है। 250 से अधिक किसान इस आंदोलन में शहीद हो चुके हैं। आखिर सरकार...
More »चमोली आपदा: चिपको आंदोलन की पीढ़ी बेबस होकर गांवों से करना चाहती है पलायन
-डाउन टू अर्थ, “हमने पहले ही चेताया था कि करीब 3500 मीटर की ऊंचाई पर नंदादेवी राष्ट्रीय अभ्यारण्य के पास बांध (डैम) बनाना ठीक नहीं है। अदालतों और लगभग सभी समितियों के चक्कर लगाए गए, उन्हें भी चेताया गया। लेकिन किसी ने हमारी बातों पर ध्यान नहीं दिया। समिति पर समिति बनती रहीं और बांध का बनना भी जारी रहा। अब देखिए यह क्या हो गया।” उत्तराखंड के चमोली जिले में...
More »सूखे बुंदेलखंड में जल संरक्षण की मिसाल है जखनी गांव
-वाटर पोर्टल, भारत में जब भी जल संकट की बात होती है, तो उत्तरप्रदेश के बुंदेलखंड़ का जिक्र जरूर होता है। यहां पाताल में जाता भूजल, मुंह चिढ़ाते सूखे कुएं-तालाब और दम तोड़ती नदियों के कारण बुंदेलखंड़ में किसान होना अभिशाप हो गया है। पानी की कमी के चलते किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है। पानी का संकट, खेती में नुकसान और रोजगार का अभाव युवाओं को पलायन के लिए मजबूर...
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