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जज के खिलाफ जन अदालत की धमकी

रायपुर/नई दिल्ली. छत्तीसगढ़ के डीजीपी विश्वरंजन ने साफ किया कि डॉ. बिनायक सेन के मसले पर सिविल सोसाइटी के लगातार दबाव के बाद भी उनकी जमानत अर्जी का पुलिस विरोध करेगी। नक्सल प्रभावित राज्यों के पुलिस प्रमुखों की बैठक में विश्वरंजन ने दैनिक भास्कर से कहा, ‘आप देखिए नक्सलियों के तेवर, ओड़ीसा-छत्तीसगढ़ की सीमा पर उन्होंेने बुधवार को पोस्टर चस्पा कर सेन के पक्ष में फैसला न देने पर न्यायाधीशों के...

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कॉमनवेल्थ खेल- दिल्ली से मजदूरों की बेदखली का आयोजन

जिस व्यक्ति, संस्था या विभाग ने तैयारियों में थोड़ा सा भी योगदान किया था कॉमनवेल्थ खेलों के उद्धाटन समारोह लंबे भाषणों में सबको याद किया गया। क्या किसी को इन भाषणों में उन हजारों मजदूरों के लिए भी आभार का एक शब्द सुनाई दिया जिनकी मेहनत से यह विश्वस्तरीय आयोजन संभव हो सका। शायद यह अनजाने में होने वाली भूल हो या फिर यह भी हो सकता है कि ऐसा करना जरुरी ना लगा हो। वैसे भी,...

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वेदांत- हिन्दुत्व और साम्राज्यवादी मंसूबों का विध्वसंक मिश्रण- रोजर मूडी

विभिन्न देशों के कानून और पर्यावरण नियमों का बड़े पैमाने पर उल्लंघन करने में वेदांत रिसोर्सेज़ की एक अलग पहचान है. कहने को तो यह कम्पनी एक पब्लिक कम्पनी है मगर इसमें वर्चस्व खुले तौर पर केवल एक व्यक्ति, उसके परिवार और इष्ट मित्रों का ही है. इस कम्पनी को इस बात पर भी नाज़ है कि वह हिन्दुत्व और नव-उदार रूढ़िवादिता में समन्वय स्थापित करती है. परेशानी की बात...

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भ्रष्टाचार के खिलाफ़ वैश्विक जंग- एजी नूरानी

करीब दो सदी पहले 1788 में वारेन हेस्टिंग्स के महाभियोग कार्यवाही के समय एडमंड बर्क ने घोषणा की थी कि ‘घूसखोरी, गंदे हाथ से सने  महान साम्राज्य के प्रमुख गवर्नर का गरीब, दीन व पस्तहाल घूस लेना दरअसल किसी सरकार को मानवता की निगाह में गिरा, घृणित व तिरस्कृत बनाता है.’ 1977 में कंट्रोलिंग द ग्लोबल करप्शन ऐपडेमिक एक आलेख में रॉबर्ट एस लेइकन ने बर्क के अभियोग पर कड़ी टिप्पणी की कि ‘आजादी...

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ये बेहाल सूरतें लेकिन गहरी नींद में है समाज

छपरा [कृष्णकांत]। 'खिलौना जान कर तुम तो मेरा दिल तोड़ जाते हो..।' बहुत दुश्मन दौर के गहरे धंसी टीस का बेतरतीब बयान है यह गीत- फिल्म 'खिलौना' का। गाना मशहूर अभिनेता स्व. संजीव कुमार पर फिल्माया गया था-जो अब रीयल लाइफ में भी कई ऐसे लोगों पर घट रहा है, जिनकी रातें बेचैनियों में कटीं। वे सुखिया नहीं है कि खाते और सोते। दुखिया है इसलिए कि जाग गये, जान गये। अब रो-रो कर असहज...

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