अपनी 72 साला आजादी में भारत ने कुलजमा 16 आम चुनाव देखे हैं। इसके बावजूद सवाल कायम है कि हमारा लोकतंत्र सही दिशा में बढ़ रहा है या नहीं? क्या वजह है कि विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र अपने विशाल आकार को अभी वांछित प्रकार से व्यवस्थित नहीं कर सका है? बताने की जरूरत नहीं कि आजादी के बाद पहला आम चुनाव 1951-52 में हुआ था। उस समय हिन्दुस्तान का...
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क्या है रुपये का सही मूल्य-- अश्विनी महाजन
पिछले कुछ महीनों से रुपये में भारी अवमूल्यन हो रहा था और रुपये डाॅलर की विनिमय दर जो अप्रैल 2018 में लगभग 64 रुपये प्रति डाॅलर थी, 11 अक्तूबर, 2018 तक 74.48 रुपये प्रति डाॅलर पहुंच चुकी थी. एक ओर जहां कमजोर होते रुपये के चलते देश में चिंता का माहौल व्याप्त हो रहा था, नीति निर्माण से जुड़े हुए कई महानुभाव यह कह रहे थे कि रुपये का गिरना...
More »मलेरिया के मामलों में आयी कमी, लेकिन बड़ी चुनौतियां बरकरार
पूर्व एशिया सम्मेलन 2015 में प्रधानमंत्री ने कहा था कि 2030 तक भारत मलेरिया उन्मूलन के लिए पूर्णत: प्रतिबद्ध है. इसी संकल्प के साथ बीते वर्ष मलेरिया मुक्ति के लिए व्यापक राष्ट्रीय सामरिक योजना शुरू की गयी. सार्वजनिक स्वास्थ्य की तमाम चुनौतियों बावजूद इस दिशा में किये जा रहे प्रयास सफल होते नजर आ रहे हैं. हाल में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी विश्व मलेरिया रिपोर्ट-2018 के अनुसार, भारत...
More »क्या कभी उनका सही आकलन होगा-- हरजिंदर
हम आज उनकी 129वीं जयंती मना रहे हैं, और जब उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कहा था, उसे भी आधी सदी से ज्यादा का समय बीत चुका है। लेकिन इस लंबे दौर में देश के पहले प्रधानमंत्री और महात्मा गांधी के बाद उस दौर के निस्संदेह सबसे लोकप्रिय नेता जवाहरलाल नेहरू का शायद ही कभी ईमानदार विश्लेषण सामने आया हो। शुरू के दौर में तो शायद वह आ भी नहीं...
More »जरूरी है स्वच्छ राजनीति भी-- अजीत रानाडे
चुनाव लड़ने का अधिकार न तो दैवीय है और न ही मानवीय. यह भारतीय संविधान के अंतर्गत कोई मौलिक अधिकार भी नहीं है. यही वजह है कि चुनावों के द्वारा जन-प्रतिनिधि बनने हेतु कुछ प्रतिबंध लगे हैं, जैसे लोकसभा की उम्मीदवारी के लिए न्यूनतम 25 वर्ष एवं राज्यसभा के लिए 35 वर्ष की उम्र आवश्यक है. इसी तरह, यदि कोई किसी ऐसे अपराध में दोषसिद्ध हो चुका है, जिसमें न्यूनतम...
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