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एग्रोकेमिकल उत्पादन में तेजी से आगे बढ़ा भारत, औद्योगिक इकाइयों से होने वाले प्रदूषण पर सवाल बरकरार

मोंगाबे हिंदी, 5 अप्रैल सितंबर 2021 को देश के कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने एक भाषण में कहा कि भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा एग्रोकेमिकल उत्पादक देश है। देश की 15 क्रॉप साइंस (कृषि विज्ञान) कंपनियों के एक ग्रुप ‘क्रॉपलाइफ इंडिया’ की 41वीं वार्षिक मीटिंग में बोलते हुए तोमर ने कहा, “इस क्षमता को देखते हुए सरकार ने एग्रोकेमिकल सेक्टर को अपने उन 12 चैंपियन सेक्टरों में शामिल किया...

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वायु प्रदूषण के मामले में भारत से आगे पाकिस्तान, लाहौर है दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर

डाउन टू अर्थ, 16 मार्च वायु प्रदूषण के मामले में पाकिस्तान ने भारत से बाजी मार ली है। पता चला है कि 2022 में पाकिस्तान में पीएम 2.5 का औसत स्तर 70.9 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया था, जो उसे दुनिया का तीसरा सबसे प्रदूषित देश बनाता है। वहीं यदि भारत की बात करें तो 53.3 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के साथ भारत इस लिस्ट में आठवें स्थान पर है।...

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2040 तक महासागरों में तीन गुना हो जाएगा प्लास्टिकः शोध

DW हिंदी , 10 मार्च एक ताजा अध्ययन बताता है कि अगर महासागरों में प्लास्टिक के कचरे को फेंके जाने की रफ्तार यूं ही जारी रही तो 2040 तक यह तीन गुना हो जाएगा. बुधवार को प्रकाशित हुई एक रिसर्च में कहा गया है कि 2005 के बाद से महासागरों में प्लास्टिक फेंके जाने की मात्रा में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है. प्लास्टिक प्रदूषण के खिलाफ काम करने वाली अमेरिकी संस्था 5 जाइर्स...

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दिल्ली-एनसीआर में एक मार्च से काम शुरू कर सकते हैं नियमों का पालन करने वाले ईंट भट्ठे: सुप्रीम कोर्ट

डाउन टू अर्थ,2 मार्च सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में नियमों का पालन करने वाले सभी ईंट भट्ठों को 1 मार्च से काम शुरू करने की हरी झंडी दे दी है। यह आदेश 27 फरवरी, 2023 को दिया गया है। गौरतलब है कि एनसीआर ईंट भट्ठा एसोसिएशन के वकील ने कोर्ट में प्रस्तुत किया था कि संबंधित राज्यों में ईंट भट्ठे हर साल 1 मार्च से काम करना शुरू कर...

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तीन दिन से क्यों पैदल चल रहे हैं आदिवासी, क्या हैं उनकी मांगें?

डाउन टू अर्थ, 24 फरवरी छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में 39 से अधिक गांवों के आदिवासियों ने तीन दिवसीय पदयात्रा शुरू की है। आदिवासियों की मांग है कि विकास के नाम पर उनकी जमीनों को सरकार ने हथिया लिया, लेकिन अब तक न तो पुनर्वास किया गया और न ही उचित मुआवजा दिया गया है। साथ ही, उन्हें उनकी जमीनों पर बनी खदानों व पावर प्लांटों से निकलने वाला प्रदूषण भी झेलना...

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