राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 मातृत्व लाभ के लिए गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए केंद्र सरकार द्वारा 6,000 रुपए/ - प्रति बच्चा की गारंटी देता है. इस अधिनियन में वह शामिल नहीं हैं, जो केंद्र सरकार या राज्य सरकारों या सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के साथ या अन्य कानूनों के तहत नियमित रोजगार में रहते हुए इस तरह के लाभ उठा रहे हैं. एनएफएसए-2013 भी कानूनी...
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फरवरी-मार्च में कोविड-19 संक्रमण के मामलों में हो रही थी वृद्धि लेकिन टास्कफोर्स ने नहीं की बैठक
-कारवां, भले ही भारत महामारी की सबसे बुरी मार झेल रहा है लेकिन कोविड-19 के लिए बनाए गए राष्ट्रीय वैज्ञानिक कार्यबल या टास्कफोर्स ने फरवरी और मार्च में एक भी बैठक नहीं की. टास्कफोर्स का काम महामारी की रोकथाम के प्रयासों पर केंद्र सरकार को सलाह देना है. राष्ट्रीय वैज्ञानिक टास्कफोर्स के दो सदस्यों, जो देश के प्रमुख वैज्ञानिकों में से हैं, और इसी टास्कफोर्स की उप समिति के एक सदस्य ने...
More »आशा, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, डॉक्टर, नर्स या फिर पुलिसकर्मी, कोविड वैक्सीन सबसे पहले किसे लगना चाहिए?
-गांव कनेक्शन, कोविड-19 के संक्रमण से दुनियाभर में अब तक 17 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इस महामारी से विश्व भर में 78.7 मिलियन लोग संक्रमित हो चुके हैं। राहत भरी खबर अभी यह है कि सरकार ऐसा दावा कर रही है कि जनवरी 2021 में कोविड वैक्सीन लगनी शुरू हो जायेगी। ऐसे में सवाल यह उठता है कि सरकार को वैक्सीन लगाने के लिए सबसे पहले...
More »लॉकडाउन के बाद भी भुखमरी और सिकुड़ती आय के खतरे बरकरार!
11 राज्यों के 3,994 उत्तरदाताओं के बीच एक सर्वेक्षण के प्रारंभिक निष्कर्षों से पता चलता है कि अधिकांश कमजोर परिवारों और समुदायों, जैसे कि एससी, एसटी, ओबीसी, पीवीटीजी, झुग्गी-झोंपड़ी में रहने वाले, दिहाड़ी मजदूर, किसान, एकल महिला परिवार, इत्यादि में लॉकडाउन से पहले उनकी आय के स्तर की तुलना में सितंबर-अक्टूबर के दौरान उनकी आय कम रही है. राइट टू फूड कैंपेन और सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज (टेलीफोनिक सर्वेक्षण के...
More »लॉकडाउन के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली को रोका जा सकता था
-द वायर, अप्रैल-मई 2020 में राष्ट्रीय लॉकडाउन से लोगों के रोजगार और आय पर विनाशकारी प्रभाव पड़ा. उदाहरण के लिए, लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में सेंटर फॉर इकोनॉमिक परफॉरमेंस के द्वारा हाल ही में किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार लगभग आधे शहरी कामगारों ने उस अवधि के दौरान कोई आय अर्जित नहीं की. कई सार्वजनिक सेवाएं भी कम या बंद कर दी गईं. इसमें नियमित स्वास्थ्य सेवाएं शामिल हैं. लॉकडाउन के दौरान...
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