-वाटर पोर्टल, यमुना प्रसाद मंडल, सांसद ने डलवा में तटबंध टूटने की समीक्षा करते हुये 4 सितम्बर 1963 को कहा था कि, डलवा के निकट जो खतरनाक स्थिति उत्पन्न हो गई थी, उस ओर हमने अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट किया लेकिन मैं यह कहते हुए लज्जित हूं कि उस दुरावस्था की ओर उस समय कदम नहीं उठाया गया। तब नेताओं को अपनी असफलता पर शर्म आया करती थी। अरसा हुआ यह रस्म...
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कोसी त्रासदी : एक और घृणित सच
-वाटर पोर्टल, भारत की नदियों में कोसी एक ऐसी नदी है जिससे जुड़ी मिथक, कथाएँ और गीत सबसे अधिक प्रचलित हैं। कोसी नदी बेसिन के लोग कोसी के भौगोलिक से ज्यादा मिथकीय चरित्र को जानते हैं और उसमें विश्वास भी करते हैं। इसका सहज कारण भी समझा जा सकता है। दरअसल, कोसी नदी का बेसिन सघन जनसंख्या का क्षेत्र है। प्राचीन काल से ही यह अंचल मानवीय अधिवास के लिये उपयुक्त...
More »लोक कल्याणकारी बॉलीवुड थोड़े ही है: पंकज त्रिपाठी
-आउटलुक, आज पंकज त्रिपाठी की गणना उन चंद अभिनेताओं में होती है, जिन्हें अपनी प्रतिभा के बल पर प्रसिद्धि मिली। लेकिन उन्हें यह मुकाम एक दशक से अधिक के कड़े संघर्ष के बाद हासिल हुआ। ‘कालीन भैया’ के किरदार के रूप में उन्होंने अमेजन प्राइम वीडियो के वेब शो मिर्जापुर में खूब वाहवाही लूटी। इस वेब सीरीज का दूसरा सीजन 23 अक्टूबर से शुरू हो रहा है। गिरिधर झा से उन्होंने...
More »बिहार चुनाव में ये फूल काँटे की तरह क्यों चुभ रहे हैं?
-बीबीसी, "फूल की कोई क़ीमत नहीं है. क़ीमत लगी तो 500 रुपए में भी 20 लड़ी (एक लड़ी में 52 फूल) बिका, और नहीं हुआ तो पटना ही बिगा(फेंका) गया. एक रुपया भी नहीं मिला. फूल देखने में बहुत सुंदर लगता है, लेकिन हमारे लिए तो खेत में खड़ा हुआ फूल किसी काँटे से कम नहीं." कड़ी धूप में अपने फूल के खेत में काम करते हुए रूपा देवी ज़रा खीझ...
More »हरियाणा: जान जोखिम में डाल सीवर साफ करने वाले रोहतक के कर्मचारियों को नहीं मिलता तय वेतन
-न्यूजलॉन्ड्री, साल 1995 की बात है. हरियाणा का रोहतक शहर बाढ़ से बुरी तरह जूझ रहा था. पानी की निकासी के सारे रास्ते बंद होने के कारण लोगों के घरों में चार-चार फुट तक पानी भर गया था. बाढ़ के पानी में शहर का मल-मूत्र भी तैर रहा था, जिसके कारण पूरे शहर का जीवन नरकीय हो गया था. ऐसी स्थिति में शहर को इस संकट से बचाने का सारा दबाव...
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