संतोष की बात है कि आखिरकार दुनिया ने घरों में काम करने वाले कामगारों की फिक्र की है। यह भी प्रशंसनीय है कि भारत ने अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के 100वें अधिवेशन में ऐसे कामगारों के हक में हुई संधि का समर्थन किया। अब यह अपेक्षा स्वाभाविक है कि भारत सरकार जल्द इस संधि का अनुमोदन करे और इसे लागू करने के लिए जरूरी कानूनी प्रावधान करे। यह दुखद है कि संपन्न...
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महिला श्रमिकों को भी मातृत्व लाभ
भागलपुर : अब निर्माण कार्य से जुड़ी महिला श्रमिकों को भी मातृत्व लाभ मिल सकता है. बशर्ते की उनका पंजीकरण श्रम संसाधन विभाग में हो. बिहार भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड की ओर से दो बच्चों तक एक हजार रुपये प्रति बच्चे के हिसाब से देने का प्रावधान है. भवन, पुल, सड़क आदि निर्माण कार्य से जुड़ी महिला श्रमिक इन योजनाओं का लाभ ले सकती हैं. पंजीकरण के लिये...
More »विस्थापन
खास बातें- दुनिया में सबसे ज्यादा बड़े बांध बनाने वाले देशों में भारत तीसरे नंबर पर है। यहां अभी 3600 से ज्यादा बड़े बांधे हैं, जबकि 700 से ज्यादा अभी बनने की प्रक्रिया में हैं। भारत में बांधों की वजह से हुए विस्थापन के बारे में अलग अलग-अलग अनुमान हैं। दास और राव (1989) ने दावा किया कि भारत में बांध परियोजनाओं की वजह से दो करोड़ दस लाख लोग विस्थापित हुए। बड़े...
More »खाद्य सुरक्षा- अधूरी पहल
महीनों की बातचीत के बाद राष्ट्रीय सलाहकार परिषद ने एक राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा बिल की सिफारिश कर दी है। यह बिल मुख्य अनाज के लिए आम लोगों के कानूनी अधिकार को पहले सोचे गए स्तर से भी नीचे ला देता है। और इस तरह परिषद ने भूख समाप्त करने के लिए सर्वजनीन सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से संगठित प्रयास शुरू करने का ऎतिहासिक अवसर खो दिया है। भारत में अनाज...
More »महिला श्रमिकों की पीड़ा
नई दिल्ली [प्रदीप कुमार मील]। एक अनुमान के मुताबिक विश्व के कुल काम के घटों में से महिलाएं दो तिहाई घटे काम करती हैं, लेकिन वह केवल 10 फीसदी आय ही अर्जित करती हैं और विश्व की केवल एक फीसदी संपत्ति की ही मालकिन हैं। भारतीय संदर्भ में महिला श्रम या श्रम में महिलाओं की भागीदारी पर बात करते समय पिछले कुछ वर्षो में तीन विषेष तथ्य सामनें आतें...
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