-डाउन टू अर्थ, हाल ही में किए एक शोध से पता चला है कि भारी बारिश और भूकंप के चलते नेपाल में मानसून के दौरान सामने आने वाले भूस्खलन के मामलों में छह गुना वृद्धि हो सकती है। गौरतलब है कि मानसून के मौसम में जून से अगस्त के बीच यह हिमालयी देश हर साल गंभीर भारी बारिश के चलते भूस्खलन का अनुभव करता है। अपने इस शोध में शोधकर्ताओं ने यह...
More »SEARCH RESULT
महाराष्ट्र के गांवों में हर साल क्यों आती है बाढ़?
-न्यूजलॉन्ड्री, महाराष्ट्र गोवा और कर्नाटक से होकर जाने वाला कोंकण रेलवे मार्ग सबसे सुंदर ट्रेन यात्रा में से एक माना जाता है. यहां ट्रेन की पटरियां सहयाद्री की पहाड़ियों की तलहटी, लहलहाते हुए जंगलों और कलकल बहती नदियों से लगकर लहराते हुए जाती हैं. कोंकण रेलवे का निर्माण चुनौतियों से भरा था, मानसून के दौरान मूसलाधार बरसात, भुरभुरी मिट्टी जिसकी वजह से सुरंगे कई बार रह जाती थीं और पश्चिमी घाटों के...
More »क्या फसल बीमा से भारतीय किसानों को मदद मिली है? अधिकांश को समय पर भुगतान भी नहीं मिलता
-द प्रिंट, हर तरह के व्यवसाय में जोखिम उठाना शामिल होता है, लेकिन भारत में सिंचाई की कम उपलब्धता को देखते हुए खेती स्वाभाविक रूप से अधिक जोखिम भरा हो जाता है, क्योंकि यह इसे मौसमी परिस्थितियों में बदलाव, खास तौर पर बारिश जो या तो सूखे या फिर बाढ़ का कारण बनती है, के प्रति बहुत संवेदनशील बनाती है. 2015-16 में केवल 49 प्रतिशत कृषि भूमि ही सिंचाई के अधीन थी और...
More »किसानों की फसलों से आय 48 फीसदी से गिर कर 38 फीसदी रह गई -एनएसओ
-रूरल वॉइस, केेंद्र की मोदी सरकार ने 2016 में घोषणा की थी कि साल 2022 तक किसानों की आय को दो गुना कर दिया जाएगा। यह बात खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश की एक रैली में कही थी। लेकिन नेशनल सैंपल सर्वे की सिचुएशन असेसमेंट ऑफ एग्रीकल्चरल हाउसेज एंड लैंड एंड लाइवस्टॉक होल्डिंग्स ऑफ हाउसेज इन रूरल इंडिया (एसएएस ) रिपोर्ट, 2019 के जारी किए गये आंकड़े बताते हैं कि खेती...
More »क्या 50 लाख साल बाद, जल संकट से होने वाले पलायन से फिर जूझ रही है दुनिया?
-डाउन टू अर्थ, दिल्ली के श्रम बाजारों में पिछले कुछ हफ्तों से भीड़ बढ़ने लगी है। अनौपचारिक कामगारों के ये बाजार आसपास के राज्यों, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के मौसम की स्थिति का पैमाना हैं। मानसून का यह मौसम अनिश्चितताओं से भरा है। दिल्ली के बाजारों में अनौपचारिक कामगारों की संख्या में वृद्धि भविष्य के सूखे का एक निश्चित संकेत है। कृषि के मौसम...
More »