-इंडिया टूडे, बीसवीं सदी की महामंदी, 1991 के भारतीय आर्थिक संकट और 2008 की ग्लोबल बैंकिंग आपदा का इतिहास हमें कुरेद-कुरेद कर बताता है कि अंतत: वही जीतते हैं जो एक अच्छी आपदा को बर्बाद नहीं करते. संकटों को अवसर बना लेने वाले मुल्क अपनी अगली पीढि़यों को एक तपी-निखरी दुनिया सौंपते हैं. बड़े बदलाव के लिए किसी बड़े संकट का इंतजार था तो मुराद अब पूरी हो गई है. संकट में...
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क्या दोबारा आएगा लॉकडाउन
-इंडिया टूडे, 14 अप्रैल को मौजूदा लॉकडाउन समाप्त होने के बाद सरकार 15 मई से देशभर में एक दूसरे लॉकडाउन पर विचार कर रही है. 3 अप्रैल को केंद्रीय रक्षा मंत्री की अध्यक्षता में हुई 16-सदस्यीय मंत्री समूह (जीओएम) की बैठक, जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी शामिल थे, में जिन महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई उनमें लॉकडाउन को आगे बढाए जाने की बात भी शामिल थी. सरकार का मानना है...
More »ग्रामीणों के लिए दोहरी मार साबित होगी कोरोना महामारी
-डाउन टू अर्थ, कोरोनावायरस (कोविड-19) बीमारी की वजह से हमारे समाज की असमानता सामने नहीं आई है। मुक्त बाजार काल में इसे अस्तित्व के खतरे के तौर पर पहले ही स्वीकार किया जा चुका है। कोरोनावायरस की वजह से यह जरूर स्पष्ट हुआ है कि आर्थिक रूप से हाशिए पर खड़े लोगों को स्वास्थ्य आपातकाल का सामना कैसे करना पड़ेगा। उदाहरण के लिए, अगर हम अमेरिका की बात करें तो कई...
More »डब्लूएचओ : गर्मी में भी ख़त्म नहीं होगा कोरोना वायरस
-सत्यहिंदी, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि गर्मी के मौसम में ऊंचे तापमान में कोरोना वायरस की क्षमता कम हो जाएगी, पर वे जिंदा बचे रहेंगे और सर्दियों में फिर सक्रिय हो जाएंगे। यह भारत जैसे गर्म प्रदेशों के लिए अधिक चिंता की बात है। अब तक यह माना जा रहा था कि गर्मी शुरु होते ही कोरोना संक्रमण ख़त्म हो जाएगा और भारत जैसे देशों को राहत मिलेगी। पर डब्लूएचओ...
More »संविधान की अंतरात्मा और शिक्षा
“अगर संविधान पर ढंग से अमल होता तो सबको समान शिक्षा मिलती और गैर-बराबरी नहीं रहती, लेकिन सरकारों ने इसकी अवहेलना की, ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020’ न केवल भटकाव बल्कि छलावा भी” घिरे हैं हम सवाल से हमें जवाब चाहिए, जवाब-दर-सवाल है के इंकलाब चाहिए! -शलभ श्री राम सिंह हम भारत के लोग ने संविधान को 26 नवंबर 1949 को अंगीकार किया था। आज लगभग 70 साल के बाद देश का शासक...
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