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वन विभाग का जंगल राज- आवेश तिवारी

पनारी गांव के परशुराम बैगा को 4 साल पहले तेज रफ़्तार ट्रक ने मार डाला था, अब उसके आठ साल के बेटे और पत्नी शांति को भूख मार रही है. पति के मरने के बाद जंगल विभाग ने जबरिया उसकी छोटी-सी जोत की जमीन पर बबूल के कांटे छिड़क उसे बंजर कर दिया. वहीं शांति के खिलाफ वन अधिनियम की धारा 5/16 के तहत जंगल की जमीन पर जबरिया कब्जे का...

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लंदन में प्रदेश के वन उत्पादों की सराहना

भोपाल। वन मंत्री सरताज सिंह ने बताया कि लन्दन के ओलम्पिया हाल में आयोजित नेचुरल एण्ड आर्गेनिक प्रोडक्ट्स-यूरोप 2010 प्रदर्शनी में रखे गये मध्यप्रदेश के हर्बल एवं वन उत्पादों तथा कच्चे माल को काफी सराहा गया है। प्रदर्शनी में आये अनेकों आगन्तुकों ने इन उत्पादों के लाभ में ग्रामीणों को भागीदार बनाने की मध्यप्रदेश की पहल के प्रति प्रसन्नता भी व्यक्त की। लन्दन से गत रात्रि भोपाल वापस आने के बाद वन मंत्री श्री...

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नासूर बना नक्सलवाद

नई दिल्ली [इरा झा]। बस्तर के दंतेवाड़ा में नक्सलियों के हाथों सीआरपीएफ के लगभग 80 जवानों को बेरहमी से मौत के घाट उतारे जाने के कारण अब सरकार और नक्सली दोनों ही खेमों के बीच लड़ाई के पाले साफ-साफ खिंच गए हैं। इसे नक्सलियों का रणनीतिक प्रतिवाद माना जा सकता है। इसके अलावा उन्होंने इस जघन्य हमले के द्वारा अपने बीच फूट पड़ने, बड़े नेताओं की गिरफ्तारी से काडर में घबराहट और दिशाहीनता तथा...

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बेरोजगारी

    एक नजर   सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर लगातार ऊंची बनी होने के बावजूद भारत अपनी ग्रामीण जनता की जरुरत के हिसाब से मुठ्ठी भर भी नये रोजगार का सृजन नहीं कर पाया है। नये रोजगारों का सृजन हो रहा है लेकिन यह अर्थव्यवस्था के ऊंचली पादान के सेवा-क्षेत्र मसलन वित्त-जगत, बीमा, सूचना-प्रौद्योगिकी और सूचना प्रौद्योगिकी के दम पर चलने वाले हलकों में हो रहा है ना कि विनिर्माण और आधारभूत ढांचे के...

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वनाधिकार

साल २००६ के १३ दिसंबर को लोकसभा ने ध्वनि मत से अनुसूचित जाति एवम् अन्य परंपरागत वनवासी(वनाधिकार की मान्यता) विधेयक(२००५) को पारित किया। इसका उद्देश्य वनसंपदा और वनभूमि पर अनुसूचित जाति तथा अन्य परंपरागत वनवासियों को अधिकार देना है।  यह विधेयक साल २००५ में भी संसद में पेश किया गया था, फिर इसमें कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए जिसमें अनुसूचित जनजाति के साथ-साथ अन्य पंरपरागत वनवासी समुदायों को भी इस...

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