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वर्ल्ड हेल्थ असेंबली: मूल निवासियों के स्वास्थ्य को सशक्त करने के लिए ऐतिहासिक संकल्प को मंजूरी

डाउन टू अर्थ, 01 जून वर्ल्ड हेल्थ असेंबली ने अपने 76वें सत्र में मूल निवासियों के स्वास्थ्य को सशक्त करने के लिए ऐतिहासिक प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इस प्रस्ताव के तहत मूल निवासियों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए एक वैश्विक कार्य योजना को तैयार करने और उसे 2026 में वर्ल्ड हेल्थ असेंबली के 79वें सत्र में प्रस्तुत करने का आह्वान किया है। असेंबली ने कहा है कि इस...

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एक और अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट में पुष्टि- भारतीय कफ सीरप के चलते ही गांबिया में बच्चों की मौत हुई थी

द वायर, 26 मई  गांबिया की एक और रिपोर्ट बताती है कि पिछले साल इस देश में 70 बच्चों की मौत भारतीय दवा निर्माताओं द्वारा बनाए गए एक उत्पाद, जिसमें विषाक्त पदार्थ (टॉक्सिन) थे, के चलते गुर्दे को पहुंचे गंभीर नुकसान के कारण हुई थी ये टॉक्सिन डायथिलीन ग्लाइकॉल (डीईजी) और एथिलीन ग्लाइकॉल (ईजी) थे. यह रिपोर्ट, जिसमें मौत की वजहों का आकलन किया गया है, (कैज़ुअलटी असेसमेंट रिपोर्ट) इस तरह का...

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पोषण की दरकार: अपनी उम्र के लिहाज से ठिगने हैं 31.7 फीसदी भारतीय बच्चे, इस मामले में भी है देश अव्वल

डाउन टू अर्थ, 26 मई भारत में कुपोषण की जो स्थिति है वो किसी से छिपी नहीं है। यहां बहुतों को तो पेट भर खाना भी नहीं मिलता और जिनको मिल भी रहा है उनके भोजन में पोषण की भारी कमी है। इसका खामियाजा नन्हें बच्चों को उठाना पड़ रहा है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी नई रिपोर्ट ने भारत में पोषण की स्थिति को लेकर हैरान कर देने वाले आंकड़े जारी किए...

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भारत में 51 वर्षों के दौरान चरम मौसम से जुड़ी 573 आपदाओं में 138,377 लोगों ने अपनी जान गंवाई

डाउन टू अर्थ, 23 मई  विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) ने पिछले 51 वर्षों का आंकड़ा जारी करते हुए जानकारी दी है कि 1970 से 2021 के बीच भारत में जलवायु से जुड़ी 573 चरम आपदाएं जैसे बाढ़, सूखा, तूफान, लू, भीषण गर्मी, भूस्खलन और दावाग्नि की वजह से 138,377 लोगों ने अपनी गंवाई है।  डब्ल्यूएमओ द्वारा यह जानकारी हर चार वर्षों में होने वाली विश्व मौसम विज्ञान कांग्रेस में जारी किए...

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राजस्थान की अवांछित बेटियां: लिंग निर्धारण और कन्या भ्रूण हत्या

रूरल वॉयस, 22 मई भारत में कपास के उत्पादन में हाल के वर्षों के दौरान गिरावट आई है। यह गिरावट वर्ष 2015 से लगातार है। इस दौरान उत्पादन सालाना 400 लाख गांठ से घटकर 310 लाख गांठ रह गया है। कीटों का प्रभाव नए सिरे से बढ़ने और विपरीत जलवायु परिस्थितियों के कारण यील्ड नहीं बढ़ रही है। विश्व औसत कपास उत्पादकता 768 किलो प्रति हेक्टेयर है, जबकि भारत का राष्ट्रीय...

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