दुनिया के सबसे प्रसिद्ध पर्यावरणविदों में से एक और दिल्ली स्थित विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र (सीएसई) की महानिदेशक सुनीता नारायण जीवंत किंवदंतियों में से एक हैं। हाल ही में सुनीता नारायण से मेरी मुलाकात हुई, हालांकि मैं उन्हें बीती सदी के नब्बे के दशक से ही जानती हूं। सुनीता नारायण की नई किताब कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट हाल ही में प्रकाशित हुई हैं, जिसमें भारत के हरित आंदोलन के माध्यम से...
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बजट में कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर हो सकता है जोर
दीपशिखा सिकरवार/ हिमांग्शु वत्स, नई दिल्ली गुजरात चुनाव में गैर-शहरी क्षेत्रों में बीजेपी को झटका लगने से सरकार को लेकर किसानों की नाराजगी का संकेत मिला है। ऐसे में आगामी बजट में कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर अधिक जोर दिया जा सकता है। कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने ईटी को बताया कि सरकार पिछले कुछ समय से किसानों की आमदनी बढ़ाने के उपाय भी तलाश रही है। वह किसानों...
More »अंतहीन कृषि संकट से कैसे उबरें-- देविन्दर शर्मा
देश का 'अन्न का कटोरा' कहा जाने वाला पंजाब कई विरोधाभासों का सामना कर रहा है। जबसे हरित क्रांति की शुरुआत हुई, पंजाब ने साल दर साल रिकॉर्ड स्तर पर अतिरिक्त अनाज का उत्पादन किया, फिर भी यह वर्षों से किसान आत्महत्या के कारण कब्रगाह में तब्दील हो गया है। शायद ही कोई दिन ऐसा जाता होगा, जब पंजाब के अखबारों में किसान आत्महत्या की खबर न छपती हो। पंजाब राष्ट्रीय...
More »फिर सूखे की ओर बुंदेलखंड-- पंकज चतुर्वेदी
बुंदेलखंड के गांवों के लोग पलायन कर रहे हैं- पानी की कमी के चलते। अगली बरसात दस महीने दूर है और बुंदेलखंड से जल संकट, पलायन और बेबसी की खबरें आने लगी हैं। वैसे मध्यप्रदेश के तेईस जिलों की एक सौ दस तहसीलों को राज्य सरकार ने सूखा प्रभावित घोषित कर दिया है, जिनमें बुंदेलखंड में आने वाले सभी जिले शामिल हैं। हालांकि इस घोषणा से सूखा प्रभावितों की दिक्कतों...
More »भूख नहीं जानती सब्र-- संजीव पांडेय
दुष्यंत कुमार का शेर है : भूख है तो सब्र कर, रोटी नहीं तो क्या हुआ। आजकल संसद में है जेरे-बहस ये मुद्दआ। शायर इसमें हुक्मरानों की खिल्ली उड़ा रहा है क्योंकि वह जानता है कि भूख सब्र नहीं जानती। इसके बावजूद हमारी व्यवस्था गरीबों का इम्तहान लेती रहती है। महज कुछ दिनों के अंतर पर ही झारखंड में भूख से तीन मौतें हुर्इं; उस राज्य में जो खनिज संसाधनों...
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