इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि। पैदा होते ही जिन्हें समाज ने 'अनाथ' नाम दे दिया अब उन्हें भी माता-पिता का प्यार और दुलार मिल सकता है। भले ही अब तक निसंतान दंपतियों की उन पर 'नजर' नहीं पड़ी लेकिन अब सरकार की मेहरबानी से इन्हें भी परिवार की छाया मिल सकेगी। अब अनाथालयों में रह रहे सैकड़ों निराश्रित बच्चों को गोद मिलने की उम्मीद जागी है। 18 वर्ष से कम उम्र के...
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प्राथमिक शिक्षा की दुश्वारियां-- सुधीर कुमार
एनुअल स्टेटस आॅफ एजुकेशन रिपोर्ट (‘असर'), ग्रामीण भारत के स्कूलों में बच्चों के नामांकन और उनकी शैक्षणिक प्रगति पर किया जाने वाला देश का सबसे बड़ा वार्षिक सर्वेक्षण है। स्वयंसेवी संस्था ‘प्रथम' के सहयोग से जिला स्तर पर स्थानीय संस्थाओं से जुड़े कार्यकर्ताओं के जरिए इस बार देश के चौबीस राज्यों के अट्ठाईस जिलों में चौदह से अठारह वर्ष के किशोरों के बीच कराए गए सर्वेक्षण की बारहवीं रिपोर्ट से...
More »क्यों बंद हो रहे सरकारी स्कूल--- कौशलेन्द्र प्रपन्न
एक सरकारी स्कूल का बंद होना क्या मायने रखता है इसका अनुमान शायद हम आज न लगा सकें। संभव है इसका खमियाजा समाज को दस-बीस बरस बाद भुगतना पड़े। एक ओर विकास के डंके बज रहे हैं वहीं दूसरी ओर आम बच्चों से उनकी बुनियादी शिक्षा की उम्मीद यानी सरकारी स्कूल तक छीने जा रहे हैं। हमने 2000 में सहस्राब्दी विकास लक्ष्य तय किया था। उसमें 2010 तक सभी बच्चों...
More »आपकी सियासत के ढोल मंजीरे-झाल बजते रहे और मैं तड़प-तड़प कर मर गयी..
पटना : जी हां, मेरे मरने से आपकी पार्टी, आपकी सियासत और राजनीति पर कोई असर नहीं पड़ेगा. मैं एक आम औरत थी. मेरी सांसें रुक गयी. क्योंकि उन सांसों को आपने थामने नहीं दिया. आपकी पार्टी ने बिहार बंद बुलाया, मेरी सांसें, आपके रोड जाम की वजह से रुक गयी. मैं जीना चाहती थी, अपनों के लिए, अपने परिवार और बच्चों के लिए. आपके कथित बंद की वजह से...
More »कुप्रबंधन की थाली में फिर से न परोसा जाए पोषाहार!-- आशीष व्यास
'ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट 2016" के अनुसार मध्यप्रदेश की स्थिति बच्चों के कुपोषण-भूख के मामलों में चिंताजनक है। श्योपुर में कुपोषण से 2016 में 55 बच्चों की मौत हुई थी। इस साल भी तीन बच्चों की मौत हो चुकी है। माना जाता है कि प्रदेश में सिर्फ 23 प्रतिशत बच्चे ही आंगनवाड़ियों में दर्ज हैं और इन्हीं के जरिए बच्चों के लिए पोषाहार की व्यवस्था की जाती है। पांच वर्ष...
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