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मानसिक रोगों की फैलती जड़ें-- मोनिका शर्मा

महिलाओं के सशक्तीकरण की तमाम योजनाओं और तमाम स्त्री-विमर्श के बरक्स स्त्रियों के स्वास्थ्य से जुड़े मुद््दे हाशिये पर हैं। विशेषकर मानसिक स्वास्थ्य को लेकर तो न खुद महिलाएं सजग हैं और न ही समाज और परिवार में दिमागी अस्वस्थता के मायने समझने की कोशिश की जाती है। यही वजह है कि अनगिनत बीमारियों की जकड़न से लेकर बाबाओं के फेर तक, सब कुछ यह साबित करता है कि भारत...

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छोटे कदमों से बड़े बदलाव-- वरुण गांधी

कायदे से तो भारत के गांवों में कोई परेशानी ही नहीं होनी चाहिए थी- आखिर कृषियोग्य भूमि के मामले में हमारा देश दुनिया में दूसरे स्थान पर है. लेकिन, उपजाऊ जमीन के एक तिहाई पर ही सिंचाई की सुविधा है, बाकी क्षेत्र बारिश पर निर्भर है. छोटी होती जोत और खेती की बढ़ती लागत से किसान पर कर्ज का बोझ बढ़ रहा है. वित्त वर्ष 2014 से 17 के...

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मौसम की मार झेलने वाली स्वास्थ्य सेवा बनाएं-- डा. पूनम खेत्रपाल

मुंबई में बुधवार को भारी बारिश ने फिर कहर ढहाया, जबकि अमेरिका अन्य देशों में चक्रवातीय तूफानों ने विकसित देशों में भी आपदा प्रबंधन के साथ स्वास्थ्य रक्षा के उपायों की कलई खोल दी है। यह सच है कि जलवायु परिवर्तन अब अपना असर दिखाने लगा है। ऐसे में इसके प्रभावों का पूर्वानुमान लगाकर अचानक आने वाली आपदाओं ही नहीं, डेंगू जैसे कई रोगों के फिर लौटने से निपटने की...

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बेरहम जमाने में घरेलू हिंसा का दाग - मृणाल पांडे

बीते हफ्ते जब मानसून सत्र में संसद गोकशी, कथित गोरक्षकों द्वारा मचाए गए तांडव और सर्वोच्च न्यायालय भारतीय नागरिकों के निजता अधिकार की परिधि पर बहस में मुब्तिला थे, तभी एक सफल और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर असमिया मॉडल द्वारा पति के हाथों कथित रूप से प्रताड़ित हो आत्महत्या करने की लोमहर्षक रपट भी सुर्खियों में थी। बॉलीवुड की एक युवा अभिनेत्री जिया खान की कथित आत्महत्या भी अब तक...

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आबादी और रोजगार की कशमकश -- मोंटेक सिंह अहलूवालिया

नौकरियों के सृजन की चुनौती पूरी दुनिया में राजनीति के केंद्र में है, और भारत भी इससे अछूता नहीं है। हालांकि, भारत में इस समस्या के पैमाने को आंकना कोई आसान काम नहीं है। हाल ही में जारी साल 2011-12 के नेशनल सैंपल सर्वे (एनएसएस) के आंकड़े बताते हैं कि देश की कुल श्रम-शक्ति के बरक्स बेरोजगारी दर महज 2.2 फीसदी थी, जो काफी मामूली है। इस लिहाज से अन्य...

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